Happy Birthday Abhimanyu (Bhagaya)- Krishna Janmashtmi.
Автор: Kulgauravi Singh Ranawat
Загружено: 2020-08-11
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चलो एक कहानी सुनाती हूँ ।
एक छोटी बच्ची हुआ करती थी अपने परिवार के बहुत लाड़ली लेकिन फिर भी अपने आपको बहुत अकेला महसूस करती थी।
खेलने के लिए उसके पास खूब खिलौनों थे और उनको को अपना भाई बहन समझा करती थी, लेकिन वो खिलौने बोलते नहीं थे उसे वो बहुत विचलित रहा करती थी।
एक दिन उसने अपनी माँ से पूछा माँ “मुझे खेलने के लिए बोलने वाला खिलौना चाहिए”जिसका उसने नाम दिया भगइया।
माँ बोली बेटा भगवान जी से बोलो वो आपको आपका भगइया दे देगा।
फिर वो दिन रात भगवान से एक ही चीज़ माँगा करती थी नहीं चाहिए थे उसे खिलौने उसे चाहिए था उसका भाई।
“भगवान जी मुझे भगइया दे दो प्लीज़”
आख़िर भगवान ने उसकी सुन ली और जन्माष्टमी 11 अगस्त के दिन उसके भगइये ने जन्म लिया।
जब उसके भाई ने जनम लिया तब वो उस समय वहाँ मौजूद नहीं थी जब उसको बुलाया गया कि उसका भगइया आ गया है, तब वो फूले नहीं समाइ और जाकर अपने माँ दाता अपने भाई को ख़ूब प्यार करने लगी।
इधर उधर दौड़ने लगी यही कहते हुए मेरा भगइया आ गया, मेरा भगइया आ गया।
जब वो छोटा सा बच्चा झूले में सोया करता था तब वो उसके पास बैठकर उसको निहारा करती थी- वो घुंघराले उसके बाल,कजरारी उसकी आंखें,सावला उसका रंग ऐसा आभास होता था कि उसका भगइया और कोई नहीं है पर कन्हैया ही है।
वो नन्ही सी बच्ची अपने भाई के साथ में उस समय माँ बेटे का खेल खेला करती थी।
सोचती थी कि कब वो बड़ा होगा और कब वह बोलना शुरू करेगा।
जब वो रोता था तब वो हर मुमकिन कोशिश करती थी उसे चुप कराने की, बचपन में ही सीख गई थी छोटे बच्चों को कैसे चुप कराया जाता है वह अपने भाई को बचपन में ही अपना बेटा मान बैठी थी।
जब वह स्कूल से आती तब वो छोटा बच्चा अपने नन्हें नन्हें क़दम चलते हुए उसके पास जाता और ख़ुश होते हुए उसे बोलता जीजा आ गए और वह अपने भाई को गोदी में उठाने की कोशिश करते हुए उसे बहुत प्यार करती।
समय निकलता गया और दोनों भाई बहन बड़े हुए।
उस लड़की के लिए उसका भाई उसके जीने की ज़रूरत बन गया वो अपने हर फ़ैसले में अपने भाई के बारे में सोचती।
उसकी गुड मॉर्निंग उसके भाई के चेहरे से शुरू होती है और उसकी गुड नाइट उसके भाई के चेहरे से ख़त्म होती।
हँसते खेलते समय बीतता गया और ये चारों माँ दाता बहन भाई अपनी ही धुन में मस्त रहा करते थे।
बड़े हो के पढ़ाई करने के लिए दोनों बच्चे इधर उधर चले गए।
दूर होकर भी एक दूसरे को मिस बहुत करते, परंतु इंतज़ार करते वापस मिलने का और ख़ूब सारी बातें करने का।
ज़िंदगी में छोटी सी छोटी या बड़ी से बड़ी कोई भी कठिनाइयां आती तो वह अपने छोटे भाई को फ़ोन करती ,उससे पूछती और उससे बात करती।
जैसे जैसे वह लड़का बड़ा होता जा रहा था ऐसा आभास होता जा रहा था कि वो कोई देवता शक्ति है उसके अंदर मानवता और परिपवक्ता बढ़ती जा रही थी। अपनी माँ की कोई बात आजतक उसने नहीं टाली और अपने पिता को वो आदर्श मानता था।
वह हर स्त्री का क़दर करता था, जब भी किसी का दिल नहीं दुखाया, कभी किसी से झगड़ा नहीं करता हर इंसान की बात समझता था।
वह आज्ञाकारी बेटा रूप रंग के साथ साथ समझदारी,मानवता का ख़ज़ाना था।
जब उसे गले लगाते थे, तो उसके सीने पर सर रखकर ऐसा आभास होता था जैसे सारी कठिनाइयां दूर हो जाएगी जैसे वही ही दुनिया है।
पर समय का चक्र ऐसा घुमा कि एक ही क्षण में सब कुछ ख़त्म कर दिया।
जैसे किसी की नज़र लग गयी जैसे किसी ने उसके भाई को चुरा लिया।
ज़िंदा है वो लड़की आज भी लेकिन सिर्फ़ सांसे चल रही है।
काफ़ी लोगों के बीच में होकर भी वो आज अकेली है क्योंकि वो अपनी परेशानी किसको बताए।
अपने परिवार को हिम्मत देते कही उसकी हिम्मत न टूट जाए क्योंकि उसकी हिम्मत तो उसका भाई था।
थक गई वो लोगों के बीच हसते हसते वादा जो किया था उसने अपने भाई से आँसू न बहाने का कहीं टूट न जाए।
आज वही तारीख़ है 11 अगस्त और वही तिथि है कृष्ण जन्माष्टमी पर उसका भगइया उसके साथ नहीं है।
इंतज़ार है उसको उसके भगइये का, विश्वास है कि वह वापस आएगा बस कहीं ज़्यादा देर न हो जाए और वो लड़की टूट ना जाए।
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