श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन | Shree Ram Chandra Kripalu Bhajman l Ram Stuti | Shri Ram l Shree Ram
Автор: Shri Bhakti
Загружено: 2025-10-14
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Chetan Garud Productions Present's
श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन | Shree Ram Chandra Kripalu Bhajman l Ram Stuti | Shri Ram l Shree Ram #bhajan #ram
🎧 Credits:
🎶 Title: Shri Ram Stuti
🎤 Singer: Vaishnavi Adode
🎼 Composer: Rohan Pagare
✍️ Lyrics: Traditional
🎬 VFX & Edit: Chetan Garud Productions Studios LLP
📀 Music Label: Chetan Garud Productions Studios LLP
Lyrics:
श्री राम श्री राम श्री राम श्री राम श्री राम
श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन
हरण भवभय दारुणं ।
श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन
हरण भवभय दारुणं ।
नव कंज लोचन कंज मुख
कर कंज पद कंजारुणं
नव कंज लोचन कंज मुख
कर कंज पद कंजारुणं
श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन
हरण भवभय दारुणं ।l
कन्दर्प अगणित अमित छवि
नव नील नीरज सुन्दरं ।
कन्दर्प अगणित अमित छवि
नव नील नीरज सुन्दरं ।
पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि
नोमि जनक सुतावरं
पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि
नोमि जनक सुतावरं ॥२॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन
हरण भवभय दारुणं ।l
भजु दीनबन्धु दिनेश
दानव दैत्य वंश निकन्दनं ।
भजु दीनबन्धु दिनेश
दानव दैत्य वंश निकन्दनं ।
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल
चन्द दशरथ नन्दनं
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल
चन्द दशरथ नन्दनं ॥३॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन
हरण भवभय दारुणं ।l
सिर मुकुट कुंडल तिलक
चारु उदारु अङ्ग विभूषणं ।
सिर मुकुट कुंडल तिलक
चारु उदारु अङ्ग विभूषणं ।
आजानु भुज शर चाप धर
संग्राम जित खरदूषणं
आजानु भुज शर चाप धर
संग्राम जित खरदूषणं ॥४॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन
हरण भवभय दारुणं ।l
इति वदति तुलसीदास
शंकर शेष मुनि मन रंजनं ।
इति वदति तुलसीदास
शंकर शेष मुनि मन रंजनं ।
मम् हृदय कुंज निवास कुरु
मम् हृदय कुंज निवास कुरु
कामादि खलदल गंजनं ॥५॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन
हरण भवभय दारुणं ।l
मन जाहि राच्यो मिलहि सो
वर सहज सुन्दर सांवरो ।
मन जाहि राच्यो मिलहि सो
वर सहज सुन्दर सांवरो ।
करुणा निधान सुजान शील
स्नेह जानत रावरो
करुणा निधान सुजान शील
स्नेह जानत रावरो ॥६॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन
हरण भवभय दारुणं ।l
एहि भांति गौरी असीस सुन
सिय सहित हिय हरषित अली।
एहि भांति गौरी असीस सुन
सिय सहित हिय हरषित अली।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि
मुदित मन मन्दिर चली
तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि
मुदित मन मन्दिर चली ॥७॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन
हरण भवभय दारुणं ।l
जानी गौरी अनुकूल सिय
हिय हरषु न जाइ कहि ।
हिय हरषु न जाइ कहि ।
मंजुल मंगल मूल वाम
अङ्ग फरकन लगे।
अङ्ग फरकन लगे।
अङ्ग फरकन लगे।
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