BHANGARH MAI YE KYA DIKH GAYA HAME
Автор: TRAVELING GURU
Загружено: 2021-10-31
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भानगढ़ का किला (Bhangarh Fort) राजस्थान के अलवर जिले में सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान में सावन नदी के तट पर स्थित है। राजस्थान के अन्य किले जो अपने शौर्य गाथाओं के लिए प्रसिद्ध है वही भानगढ़ का किला उसके भुतहा होने के लिए प्रसिद्ध है। भानगढ़ का किला ‘खंडहरों का नगर’ तथा ‘भूतहा किला’ से भी जाने जाता है।
भानगढ़ का इतिहास (History of Bhangarh Fort)
भानगढ़ के किले का निर्माण आमेर के राजा भगवंत दास ने 1583 में करवाया था। किले का निर्माण 17 वीं शताब्दी में हुआ था। बाद में इस किले को भगवंत दास के छोटे बेटे माधो सिंह ने अपना निवास स्थल बना लिया था। माधो सिंह,अकबर के नवरत्नों में से एक मानसिंह का छोटा भाई था। माधव सिंह के 3 पुत्र थे- सुजान सिंह, छत्र सिंह तथा तेज सिंह।
माधो सिंह के बाद इसके लिए पर छत्र सिंह ने राज किया। छत्र सिंह के पुत्र अजब सिंह ने अपने नाम पर अजब गढ़ बसाया था। अजब सिंह के तीन पुत्रों में से 2 पुत्र अजबगढ़ में रहे जिनके नाम थे- जसवंत सिंह तथा काबिल सिंह। अजब सिंह के तीसरे पुत्र हरि सिंह भानगढ़ में ही रहे। औरंगजेब के समय, हरि सिंह के दो वंशज मुसलमान हो गए थे। जिन्हें भानगढ़ दे दिया गया था। मुगलों के कमजोर होने पर महाराजा सवाई जय सिंह जी ने इन्हें मार कर किले पर अपना अधिकार कर लिया था।
भानगढ़ से जुड़ी रहस्यमई कथाएं
बालू नाथ नामक शापित स्थल
भानगढ़ का किला बालू नाथ नाम के योगी की तपस्या स्थली था।बालू नाथ ने इस शर्त पर अपनी तपस्या स्थली किला बनाने के लिए दी कि किले की परछाई कभी भी मेरी तपस्या स्थली को नहीं नहीं छुएगी। परंतु किला बनाते समय निर्माता ने इस शर्त को ध्यान में नहीं रखा और किले की परछाई बालू नाथ की तपस्या स्थली को छू गई। जिसके कारण बालू नाथ ने श्राप देकर भानगढ़ को बर्बाद कर दिया। बालू नाथ की तपस्या स्थली आज भी भानगढ़ में स्थित है।
राजकुमारी रत्नावली की कथा
एक कथा के अनुसार छतर सिंह नाम के राजा की बहुत ही सुंदर पुत्री थी राजकुमारी रत्नावली। जोकि भानगढ़ किले में रहती थी। शींडा नाम का एक तांत्रिक था जोकि राजकुमार की सुंदरता पर मोहित हो गया था राजकुमारी को पाना चाहता था और उससे विवाह करना चाहता था। राजकुमारी की एक दासी उनके श्रृंगार के लिए तेल लेने बाजार गई थी।तांत्रिक ने तेल को अभिमंत्रित कर दिया और उस पर जादू कर दिया ताकि राजकुमारी उसकी और खींची चले आए।परंतु दासी के हाथ से वह शिशी एक चट्टान पर गिर गई। इस प्रकार वह चट्टान उस तांत्रिक के ऊपर गिर गई और वह उसके नीचे दबकर मर गया। तांत्रिक ने मरते समय राजकुमारी और राज्य को श्राप दे दिया। उस शाप के कारण पूरा भानगढ़ वहां के लोग राजकुमारी सभी मारे गए।
भानगढ़ के संबंध में अनेक रहस्यमई कथाएं प्रचलित हैं। वर्तमान में यह किला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीन है। वर्तमान में इस किले के खंडहर आरक्योंलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा संरक्षित है। राजगढ़ तहसील में स्थित भानगढ़ और अजबगढ़ को इतिहास और पुरातत्व का खजाना कहा जाता है। भानगढ़ के किले में सूर्योदय से पहले तथा सूर्योदय के बाद जाना वर्जित है।
बेशक Bhangarh Fort किला भूतहा और रहस्यमई माना जाता है, परंतु इसके किले के चारों ओर फैली हरियाली और खूबसूरत वातावरण पर्यटकों को सहज ही अपनी और आकर्षित करता है।
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