त्याग में सच्चा सुख – कर्म से नहीं, आसक्ति से मुक्त हो
Автор: Zindagi Diaries
Загружено: 2025-12-07
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कर्म संन्यास योग
भगवद् गीता के 5वें अध्याय का गहन ज्ञान, जहाँ श्रीकृष्ण अर्जुन को बताते हैं कि त्याग का अर्थ कर्म छोड़ना नहीं, बल्कि उसके फल की आसक्ति को छोड़ना है।
इस वीडियो में आप समझेंगे कि जीवन में शांति कैसे आती है, अहंकार कैसे मिटता है और समभाव कैसे पैदा होता है।
✨ इस एपिसोड में शामिल है:
अर्जुन का प्रश्न — क्या कर्म त्याग ही संन्यास है?
कृष्ण का उत्तर — कर्म नहीं, आसक्ति छोड़े
ज्ञान और कर्म का संतुलन
आधुनिक जीवन में कर्म योग कैसे लागू करें
त्याग, अहंकार और समर्पण का वास्तविक अर्थ
हर इंसान के लिए साधारण भाषा में गीता का संदेश
🌼 यह वीडियो किनके लिए है?
जो तनाव, चिंता और मानसिक दबाव से जूझ रहे हैं
जो काम, रिश्तों या जीवन की जिम्मेदारियों से थक चुके हैं
जो आध्यात्मिक ज्ञान की खोज में हैं
जो भगवद् गीता को सरल भाषा में समझना चाहते हैं
जो आत्मिक शांति और स्पष्टता पाना चाहते हैं
🌿 वीडियो से मिलने वाले प्रमुख संदेश:
✔ कर्म ही पूजा है
✔ त्याग मतलब ‘मैं’ को छोड़ना
✔ बिना आसक्ति कर्म करना ही सच्चा संन्यास
✔ सफलता-असफलता में समभाव
✔ हर कार्य में ईश्वर का दर्शन
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जय श्रीकृष्ण 🙏
ॐ शांति ॐ
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