द्वारिकाधीश की द्वारिका का निर्माण | श्री कृष्ण | Shree Krishna Story
Автор: Shree Krishna
Загружено: 2025-08-07
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श्री कृष्ण जरासंध के बार बार मथुरा पर हमला करने से मथुरा वसियों को सुखी रखने के लिए मथुरा छोड़कर जाने की सोच लेते हैं। मथुरा को छोड़ने से पहले श्री कृष्ण विश्वकर्मा को बुलाते हैं और उनसे द्वारिका का निर्माण करने के लिए आदेश देते है। विश्वकर्मा जी समुद्र राज रत्नाकर से द्वारिका नगर बसाने के लिए भूमि माँगते हैं। समुद्र राज अपने जल को पीछे हटा कर विश्वकर्मा को भूमि दे देते हैं। विश्वकर्मा जी द्वारिका का निर्माण कर देते हैं। इंद्र देव विश्वकर्मा जी से विनती करते हैं की उनकी राज सभा के भवन को द्वारिका में स्थापित कर दे। कुबेर जी अपना अक्षय पत्र द्वारिका के ऊपर रखने का आग्रह करने आते हैं जिसे विश्वकर्मा माँ लेते हैं। विश्वकर्मा द्वारिका का निर्माण करने के पश्चात श्री कृष्ण को सौंप देते हैं। अक्रूर जी को श्री कृष्ण बुलाते हैं और उन्हें मथुरा वसियों को द्वारिका तक ले जाने की तैयारी करने को कहते हैं। मथुरा को चारों ओर जरासंध और उसके साथी और उनकी सेना घेर लेते हैं। श्री कृष्ण योग माया को बुलाते हैं और उनसे मथुरा वासी को अपने अंचल में समेत कर द्वारिका ले जाने के लिए कहते हैं और उनके मन में ऐसी स्मृति डालने को कहते है की उन्हें ऐसा लगे की वो सदा से द्वारिका में हे रहते आए हों। योग माया मथुरा वसियों को द्वारिका पहुँच देती हैं। श्री कृष्ण और बलराम द्वारिका नहीं जाते हैं क्योंकि उन्हें मथुरा को जरासंध के घेरे से उसे आज़ाद करना था। श्री कृष्ण और बलराम मथुरा के द्वार से बाहर निकलते हैं और आकाश में उड़ने लगते हैं। जरासंध उन्हें देख उनका पीछा करने लगता है। रस्ते में श्री कृष्ण और बलराम गोवंतक पर्वत में छिप जाते हैं। जरासंध ने पूरे पर्वत को घेर कर उसमें आग लगा देता है। श्री कृष्ण और बलराम गोवंतक पर्वत से अंतर ध्यान हो कर द्वारिका पहुँच जाते हैं। श्री कृष्ण के द्वारिका पहुँचने पर सभी देवता गण और देव गुरु उनका स्वागत करने आते हैं।
श्रीकृष्णा, रामानंद सागर द्वारा निर्देशित एक भारतीय टेलीविजन धारावाहिक है। मूल रूप से इस श्रृंखला का दूरदर्शन पर साप्ताहिक प्रसारण किया जाता था। यह धारावाहिक कृष्ण के जीवन से सम्बंधित कहानियों पर आधारित है। गर्ग संहिता , पद्म पुराण , ब्रह्मवैवर्त पुराण अग्नि पुराण, हरिवंश पुराण , महाभारत , भागवत पुराण , भगवद्गीता आदि पर बना धारावाहिक है सीरियल की पटकथा, स्क्रिप्ट एवं काव्य में बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ विष्णु विराट जी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसे सर्वप्रथम दूरदर्शन के मेट्रो चैनल पर प्रसारित 1993 को किया गया था जो 1996 तक चला, 221 एपिसोड का यह धारावाहिक बाद में दूरदर्शन के डीडी नेशनल पर टेलीकास्ट हुआ, रामायण व महाभारत के बाद इसने टी आर पी के मामले में इसने दोनों धारावाहिकों को पीछे छोड़ दिया था,इसका पुनः जनता की मांग पर प्रसारण कोरोना महामारी 2020 में लॉकडाउन के दौरान रामायण श्रृंखला समाप्त होने के बाद ०३ मई से डीडी नेशनल पर किया जा रहा है, TRP के मामले में २१ वें हफ्ते तक यह सीरियल नम्बर १ पर कायम रहा।
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