#1059
Автор: Shri Radhe (Premanand Ji Maharaj)
Загружено: 2025-10-13
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#1059 Ekantik Vartalap | बोलकर नाम जपना और मन में नाम जपने से क्या बराबर लाभमिलता है? Premanand Ji Maharaj
बोलकर और मन में नाम जपने के लाभ समान नहीं होते, बल्कि दोनों के प्रभाव और फल में अंतर होता है। आम तौर पर, धार्मिक और आध्यात्मिक मान्यताओं के अनुसार, मन में किया गया जप अधिक शक्तिशाली माना जाता है। जप को तीन मुख्य प्रकारों में बाँटा गया है, और उनके फल में भी अंतर होता है:
वाचिक जप (बोलकर)
क्या है: इसमें भगवान का नाम स्पष्ट रूप से बोलकर जपा जाता है, जिसे दूसरे लोग भी सुन सकते हैं।
लाभ:
शुरुआती चरण: यह शुरुआती भक्तों के लिए बहुत प्रभावी होता है, क्योंकि इसमें मन को भटकाने वाले विचारों से ध्यान हटाने में मदद मिलती है।
एकाग्रता: कानों से भी नाम सुनाई देने के कारण मन को नाम में लगाए रखना आसान हो जाता है।
सामूहिक प्रभाव: ज़ोर से जप करने से न केवल जप करने वाले को, बल्कि आस-पास के अन्य लोगों और प्राणियों को भी लाभ होता है।
फल: वाचिक जप को यज्ञ से दस गुना अधिक फल देने वाला माना जाता है।
उपांशु जप (धीमी आवाज़ में)
क्या है: यह जप फुसफुसाकर किया जाता है, जिसमें केवल होंठ हिलते हैं और आवाज़ बहुत धीमी होती है।
लाभ: इसमें मन की एकाग्रता वाचिक जप की तुलना में अधिक होती है, क्योंकि इसमें बाहरी तत्वों का प्रभाव कम होता है।
फल: उपांशु जप को वाचिक जप से सौ गुना अधिक फलदायक माना जाता है।
मानसिक जप (मन में)
क्या है: इसमें नाम का जप पूरी तरह से मन में किया जाता है, बिना होंठ हिलाए या आवाज़ निकाले।
लाभ:
उच्च स्तर की एकाग्रता: यह जप का सबसे उन्नत और शक्तिशाली रूप है। इसमें एकाग्रता चरम पर होती है, क्योंकि कोई बाहरी व्यवधान नहीं होता।
गहन प्रभाव: मानसिक जप से मन पर सीधा और गहरा प्रभाव पड़ता है, जिससे मानसिक शुद्धता और शांति प्राप्त होती है।
सावधानी: मानसिक जप के लिए अधिक एकाग्रता की आवश्यकता होती है, अन्यथा मन के भटकने का ख़तरा रहता है।
फल: मानसिक जप को उपांशु जप से हज़ार गुना अधिक फल देने वाला माना जाता है।
निष्कर्ष
दोनों ही तरह के जप लाभकारी होते हैं, लेकिन उनका प्रभाव जप करने वाले की मानसिक स्थिति और एकाग्रता पर निर्भर करता है। शुरुआत के लिए वाचिक जप सहायक होता है, जबकि जैसे-जैसे साधना बढ़ती है, मानसिक जप अधिक प्रभावशाली होता जाता है। अंतिम लक्ष्य निर्मल मन से जप करना होता है, चाहे वह किसी भी तरीके से किया जाए।
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