Cgpsc घोटाला- कोचिंग वालो के साथ मिलकर रिसोर्ट में करोड़ो रू लेकर पेपर सॉल्व करवाते थे | नगर सैनिक
Автор: bhupendra mishra
Загружено: 2025-04-17
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सीजीपीएससी मेन्स 2022 के 35 उम्मीदवारों को परीक्षा के पांच दिन पहले मूल परीक्षा का पर्चा सॉल्व कराया गया था। इसके लिए दलालों से पर्चा खरीदने वाले उम्मीदवारों को महासमुंद के बारनवापारा रिसॉर्ट में ठहराया गया था। यह खुलासा 16 अप्रैल को सीबीआई के पांच स्थानों पर छापेमारी में मिले दस्तावेजों से हुआ है। सीबीआई की छापेमारी के बाद पूछताछ में पता चला है कि मेन्स परीक्षा से पहले ही पर्चा लीक हो गया था।
30-35 लोगों को पहले से बैठाकर इसकी तैयारी करवाई जाती थी, जिसके लिए महासमुंद जिले के बारनवापारा रिसॉर्ट को 11 मई से 24 मई 2022 तक बुक किया गया था। यहीं बैठाकर उम्मीदवारों को पर्चा सॉल्व करवाया जाता था। (यह वही पर्चा है, जो सीजीपीएससी 2022 के मेन्स परीक्षा के लिए सेट किया गया था) उम्मीदवारों को पेपर सॉल्व करवाने के लिए बाकायदा 2 सॉल्वर रखे गए थे।
यह सॉल्वर कोचिंग अकादमी में पढ़ाने वाले लोग हैं। तीन दलाल मिलकर इन दोनों सॉल्वर को रोज अलग-अलग विषय के पर्चे देते थे। यह बात दलालों ने पूछताछ में कबूल की है। इसके अलावा एक-एक पद के लिए 40 लाख से लेकर 1 करोड़ रुपए तक की मोटी रकम वसूली गई है। डिप्टी कलेक्टर पद के लिए उम्मीदवारों से 1 करोड़ रुपए वसूले गए।
इस बीच, रुपए देकर पेपर खरीदने वाले उम्मीदवारों के नाम सीबीआई के पास पहुंच गए हैं। बताया जा रहा है कि जल्द ही इस मामले को लेकर बड़ी गिरफ्तारी होने वाली है। सीबीआई के सीनियर अधिकारी के मुताबिक इन दस्तावेजों की जांच कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
6 दिन चला खेल: 24 से 29 मई तक पूरा खेल चला। इस दौरान रिसॉर्ट से उम्मीदवारों को सीधा रायपुर के वेकेटेंस इंटरनेशनल होटल में रुकवाया गया। यहां से इन्हें कांकेर रोड वेज की बसों में बैठाकर परीक्षा सेंटर तक आने-जाने का काम होता था। परीक्षा चलने तक ऐसा किया गया।
ये हैं बड़े किरदार
डॉ. विकास चन्द्राकर (महासमुंद): सीजीपीएससी के मेन्स का पर्चा सॉल्वर को देते थे। उम्मीदवारों से रकम ली और उसे ऊपर तक पहुंचाया है।
डॉ. उत्कर्ष चन्द्राकर (रायपुर): यह भी मेन्स का पर्चा सॉल्वर को देते थे। उम्मीदवारों से रकम ली और ऊपर तक पहुंचाया है। डॉ. उत्कर्ष, विकास के साथ मिलकर काम करता था।
राहुल हरपाल (रायपुर): विकास और उत्कर्ष का सहयोगी है। होटल और रिसॉर्ट से लेकर बस सब यहीं बुकिंग करते थे। साथ ही दोनों दलालों के सहयोगी थे।
धर्मेंद्र साहू (महासमुंद): यह सक्सेस अकादमी रायपुर में बच्चों को प्रतियोगी परीक्षा तैयारी करवाती है। रिसॉर्ट में रहकर पर्चा की तैयार करवाता था। इस दौरान सभी के मोबाइल फोन समेत इलेक्ट्रिक डिवाइस बाहर रखवा दिए जाते थे।
पारितोष जायसवाल (बिलासपुर): रायपुर में रहकर कारनामा किया। रिसॉर्ट में बच्चों को पेपर सॉल्व करवाता था। यह भी बच्चों को प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करवाता है।
छापे में मिले ये दस्तावेज- विकास और उत्कर्ष के घर से अहम दस्तावेज मिले हैं। इन दस्तावेजों में पैसे के लेनदेन व रिसॉर्ट में बैठकर पेपर सॉल्व करने वाले अभ्यर्थियों का नाम- पता है। राहुल के पास से रिसॉर्ट, होटल व बस की बुकिंग करने संबंधित कागजात मिले हैं। दोनों सॉल्वर ने भी अभ्यर्थियों को पेपर सॉल्व करवाने की बात स्वीकार की है।
इन दलालों तक पर्चा कैसे पहुंचता था इसकी पड़ताल करेगी सीबीआई
लोक सेवा आयोग के पेपर चेयरमैन और परीक्षा नियंत्रक के कंट्रोल में होते हैं, लेकिन विकास और उत्कर्ष के पास यह पर्चा कैसे पहुंचा? कौन और किस माध्यम से इन्हें पर्चा देते थे? इसके बीच की कड़ी कौन है? बताया जा रहा है कि सीजीपीएससी घोटाले में यह अब तक के सबसे बड़े सबूत हैं। दावा है कि अब जल्द ही इस पूरे घोटाले की कहानी सामने आने वाली है।
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