Nati at Dakolar
Автор: S.D. Chauhan
Загружено: 2025-11-02
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कभी नजरे मिलाने में जमाने बीत जाते हैं ,कभी नजरे चुराने में जमाने बीत जाते हैं |
किसी ने आंख भी खोली तो सोने की नगरी में ,किस को घर बनाने में जमाने बीत जाते हैं ||
कभी काली स्याह रात हमें एक पल की लगती है ,कभी एक पल बीताने में जमाने लगते हैं |
कभी खोला दरवाजा तो सामने खड़ी थी मंजिल , कभी मंजिल को पाने में जमाने लगे हें ||
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