श्रीमद भगवद गीता अध्याय 17 की सीख | Life Changing Lessons of Bhagavad Geeta Chapter 17 Bhagwat Geeta
Автор: Divya Saarthi
Загружено: 2025-12-10
Просмотров: 199
श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय 17 – श्रद्धात्रय विभाग योग में भगवान श्रीकृष्ण हमें बताते हैं कि हमारी श्रद्धा, भोजन, यज्ञ, तप और दान – सब कुछ तीन गुणों से प्रभावित होता है: सात्त्विक, राजसिक और तामसिक।
इस वीडियो में मैं, शैलेश, आपके साथ गीता अध्याय 17 का सार बहुत ही सरल और व्यावहारिक भाषा में साझा कर रहा हूँ, ताकि आप इसे अपने दैनिक जीवन में आसानी से उतार सकें।
🔹 इस वीडियो में आप जानेंगे:
श्रद्धा के तीन प्रकार – सात्त्विक, राजसिक और तामसिक
सात्त्विक, राजसिक और तामसिक भोजन (आहार) की पहचान
कौन‑सा यज्ञ, तप और दान हमें आध्यात्मिक उन्नति देता है
“ओम् तत् सत्” तीन दिव्य शब्दों का रहस्य
कर्म के पीछे की भावना (intention) क्यों सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण है
🙏 यह वीडियो विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो:
गीता को सरल हिन्दी में समझना चाहते हैं
अपने जीवन, स्वभाव और आदतों को सात्त्विक बनाना चाहते हैं
जानना चाहते हैं कि सही श्रद्धा और सही भोजन से मन कैसे बदलता है
🔔 अगर आपको यह व्याख्या अच्छी लगे तो
Divya Saarthi चैनल को सब्सक्राइब करें और वीडियो को Like व Share ज़रूर करें।
👇 कमेंट में लिखें:
आपको गीता के 17वें अध्याय की कौन‑सी बात सबसे ज़्यादा छू गई?
हरि ओम् तत् सत्।
श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 17 श्रद्धात्रय विभाग योग की सरल व जीवन से जुड़ी व्याख्या। जानिए श्रद्धा, भोजन, यज्ञ, तप और दान के तीन गुण – सात्त्विक, राजसिक, तामसिक।
Your Queries :
गीता अध्याय 17
भगवद्गीता अध्याय 17 हिन्दी में
श्रद्धात्रय विभाग योग
Bhagavad Gita Adhyay 17 in Hindi
Shraddhatray Vibhag Yog explanation
श्रद्धा के तीन प्रकार
सात्त्विक राजसिक तामसिक भोजन
सात्त्विक राजसिक तामसिक दान
गीता की सीख हिन्दी में
Bhagavad Gita chapter 17 summary
Gita Adhyay 17 explanation in Hindi
श्रद्धा, यज्ञ, तप और दान
ओम तत् सत् का अर्थ
Divya Saarthi Shailesh Gita
Доступные форматы для скачивания:
Скачать видео mp4
-
Информация по загрузке: