एक बातचीत हिंदी के प्रतिष्ठित साहित्यकार , ग़ज़लकार रामकुमार कृषक जी के साथ | Ramkumar Krishak |
Автор: Shoonya Theatre Group
Загружено: 2025-11-02
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रामकुमार कृषक का जन्म 1 अक्टूबर, 1943 ई. को अमरोहा, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश के गाँव गुलड़िया में हुआ। उन्होंने मेरठ विश्वविद्यालय से एम.ए. (हिन्दी) किया।
‘प्रगतिशील लेखक संघ’ और ‘जनवादी लेखक संघ’ जैसे विभिन्न साहित्यिक-सांस्कृतिक संगठनों में सक्रिय हिस्सेदारी। ‘जन संस्कृति मंच’ की दिल्ली इकाई के संस्थापक सदस्य। उसकी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी रहे।
दूरदर्शन के केन्द्रीय निर्माण विभाग (सी.पी.सी.) द्वारा उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को लेकर वृत्तचित्र का निर्माण और प्रसारण हुआ। सेंट्रल यूनिवर्सिटी, हैदराबाद में उनके गीतों और ग़ज़लों पर शोधकार्य हुए।
उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं—‘सुर्खियों के स्याह चेहरे’, ‘नीम की पत्तियाँ’, ‘फिर वही आकाश’, ‘आदमी के नाम पर मज़हब नहीं’, ‘लौट आएँगी आँखें’, ‘अपजस अपने नाम’, ‘मुश्किलें कुछ और’, 'बामियान की चट्टानें' और ‘साधो, कोरोना जनहंता’ (कविता-संग्रह); ‘नमक की डलियाँ’ (कहानी-संग्रह); ‘कहा उन्होंने’ (साक्षात्कार); ‘दास्ताने-दिले-नादां’ (आत्म-संस्मरण); ‘कविता में बँटवारा’, ‘काली दीवार के उस पार’ (आलोचना); ‘संस्मरण ये भी हैं’ (संस्मरण); ‘कर्मवाची शील’ और ‘जनकवि हूँ मैं’ (सम्पादित)।
‘राहुल वाङमय’ जैसी पुस्तक-शृंखलाओं में सम्पादन-सहयोग। ‘अलाव’ और ‘नई पौध’ नामक पत्रिकाओं का सम्पादन-प्रकाशन।
उन्हें हिन्दी अकादमी, दिल्ली के साहित्यिक कृति सम्मान (1991), सारस्वत सम्मान, मुम्बई (1997), इंडो-रशियन लिटरेरी क्लब, नई दिल्ली (2003), अदबी संगम, अमरोहा (2010), नई धारा रचना सम्मान, पटना (2013), कबीर सम्मान, मुजफ्फरपुर (2014), पं. बृजलाल द्विवेदी साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान, भोपाल (2017) और संतराम बी.ए. स्मृति सम्मान, शाहजहाँपुर (2018) से पुरस्कृत-सम्मानित किया जा चुका है।
सम्पर्क : सी-3/59, नागार्जुन नगर, सादतपुर विस्तार, दिल्ली-110 090
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