यण संधि
Автор: Anika Education Hub
Загружено: 2025-07-08
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यण संधि संस्कृत व्याकरण में स्वर संधि का एक प्रकार है, जिसका सूत्र है: इकोऽयणचि। इस संधि में जब किसी शब्द का अंतिम स्वर इ/ई, उ/ऊ या ऋ हो और उसके बाद किसी भिन्न स्वर (असमान स्वर) से प्रारंभ होने वाला शब्द आए, तो इन स्वरों का क्रमशः य्, व् और र् में परिवर्तन हो जाता है।
📘 यण संधि के नियम:
इ/ई + भिन्न स्वर → य्
उदाहरण:
अति + अधिक → अत्यधिक
इति + आदि → इत्यादि
उ/ऊ + भिन्न स्वर → व्
उदाहरण:
सु + आगत → स्वागत
अनु + अय → अन्वय
ऋ + भिन्न स्वर → र्
उदाहरण:
पितृ + आज्ञा → पित्राज्ञा
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मातृ + आदेश → मात्रादेश
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