Special Report - Nirala | Vasant Ka Agradoot | सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' विशेष
Автор: Sansad TV
Загружено: 2020-02-22
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हिंदी साहित्य में अध्ययन-अध्यापन की दृष्टि से जो काल विभाजन किया गया है उसमें खडी बोली की कविता के सन्दर्भ में छायावाद एक प्रमुख युग है जिसमें जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा और सूर्यकांत त्रिपाठी निराला इस काव्यधारा के प्रमुख कवि माने जाते हैं। इस विशेष कार्यक्रम में देखिये छायावाद के विशिष्ट कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कुछ ऎसी रचनाएं जिनके माध्यम से उनके संगीत का पक्ष मुखर होता है। निराला ने अपने समकालीन अन्य कवियों की तुलना में अपनी कविता के लिए कल्पना का कम सहारा लिया और यथार्थ पर उनकी दृष्टि सदा प्रखर रही। माना जाता है कि निराला ने हिंदी में मुक्त छंद की कविता का सूत्रपात किया लेकिन छंद पर उनकी गहरी पकड़ थी जो उनके रचनाकर्म में सर्वत्र विद्यमान है।
बंगाल की रियासत महिषादल में जन्मे निराला मूल रूप से उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले के थे। बाद में वो 1941 में इलाहाबाद आ गए थे जहां 1961 में अपनी मृत्यु तक रहे और साहित्यकर्म में संलग्न रहे। निराला बांग्ला, संस्कृत, हिंदी उर्दू और अंग्रेज़ी में पारंगत थे और कविताओं के अलावा कहानियां, उपन्यास, निबंध और अनुवाद की उनकी किताबें आज हिंदी साहित्य की धरोहर हैं।
इस विशेष प्रस्तुति में निराला के निराले काव्यकर्म को संगीत और गायन के माध्यम से याद किया जा रहा है।
Anchor: इरफ़ान
Participants: प्रो संध्या सिंह, गुंदेचा बंधुओं का 'निराला' गायन, प्रो स्मिता अग्रवाल, जुगेश कुमार गुप्ता
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