रसोईघर में लिखें यह तीन बीजाक्षर मंत्र || Mantra Vigyan || Yog bhooshan Maharaj
Автор: Yog Bhooshan Maharaj
Загружено: 2021-01-04
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रसोईघर मे लिखें यह तीन बीजाक्षर मंत्र
◆ हमारे घर में मुख्य द्वार के पश्चात सबसे अहम् जगह हैं :- रसोईघर और पारंपरिक भाषा में रसोईघर को चौका भी कहा जाता हैं अर्थात् जहाँ चौकन्ना रहा जाए, जहाँ भोजन बनाते समय हम चौकन्ना रहें, हमारा विवेक जागृत रहे ।
◆ चौके का दूसरा अर्थ हैं, जहाँ चार प्रकार की शुद्धि होती हैं अर्थात् द्रव्य शुद्धि, क्षेत्र शुद्धि, काल शुद्धि और भाव शुद्धि इन चारों प्रकार की शुद्धि का जहाँ पर ध्यान रखा जाता हैं उसी स्थान को हम चौका कहते हैं।
◆ आयुर्वेद में लिखा हैं 'आहारमेव औषधि' अर्थात् आहार ही औषधि हैं। भोजन का प्रभाव हमारे मन पर पड़ता हैं अच्छा भोजन अच्छे स्वास्थय के लिए जरूरी हैं लेकिन अच्छे भोजन का निर्माण जहाँ पर करते हैं यदि वह स्थान ही अपवित्र हैं या उस स्थान से नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह का हो रहा हैं तो भोजन में वह नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करेगी और वह भोजन भी नकारात्मक हो जाएगा और उस भोजन से हमें भी नकारात्मकता ही मिलेगी।
◆ ज्योतिष शास्त्र में लिखा हैं कि यदि आप अपने घर में बीमारियों से बचना चाहते हैं तो संध्याकाल में सोने से पहले रसोईघर को एकदम स्वच्छ कर दें रसोई घर में दिन भर का इकट्टा कूड़ा कचरा रसोईघर में न रखें घर से बाहर फेंक दें।
◆ भोजन बनाने के लिए हमें शुभ समय का चयन करना चाहिए जैन मंत्र शास्त्र में और वेदों में उल्लेख मिला हैं 'रात्रि भोजनम् नरकश द्वारम् ' अर्थात रात्रि में किया गया भोजन नरक का द्वार हैं इसलिए इससे बचना चाहिए रात्रि में भोजन नहीं करना चाहिए और न ही बनाना चाहिए।
◆ जैन शास्त्रों में लिखा हैं रात का बना, रात में नहीं खाना। दिन का बना, रात्रि में नहीं खाना। रात का बना दिन में नहीं खाना। सोने से 4 घंटे पहले ही हमें भोजन कर लेना चाहिए।
◆ भोजन बनाते समय हमारा मन, वचन और काया शुद्ध रहना चाहिए कभी भी बिना स्नान के रसोईघर में प्रवेश न करें जितना पवित्र आपका पूजा घर होता हैं उतना ही पवित्र आपका रसोईघर भी होना चाहिए।
◆ मंत्र विज्ञान में उल्लेख प्राप्त होता हैं कि हमें अपने रसोईघर को मंत्रित रखना
चाहिए तो भोजन बनाते समय जिस तरफ हमारी दृष्टि रहती हैं उस तरफ बीजाक्षर मंत्रों का लेखन करें।
◆ शुद्ध केसर, कुमकुम, हल्दी या अष्टगंध के द्वारा मंत्रों का लेखन करें अष्टगंध में गंगा जल, गुलाब जल, हल्दी, गंधोदक मिलाकर इन तीन बीजाक्षर मंत्रों का लेखन करें।
• बीजाक्षर :- ॐ, हीं, श्रीं !!
◆ ये तीन बीजाक्षर मंत्र आपके पूरे रसोईघर के वातावरण को सकारात्मक रखेंगे। इन बीजाक्षर मंत्रों का दर्शन करते हुए भोजन बनाने से पूरा भोजन औषधि का कार्य करेगा।
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स्वस्थ, सुखद एवं समृद्धशाली जीवन के प्राचीनतम महाविज्ञान को हम तक पहुंचाने वाले परम श्रद्धेय मंत्र महर्षि श्री योगभूषण जी महाराज एक मानवतावादी आध्यात्मिक संत हैं, जो मानवीय जीवन के उत्थान, कल्याण और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना के लिए समर्पित हैं ।
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