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How Many Talab Are There In Bhopal? |भोपाल का बड़ा तालाब |Upper Lake Bhopal |

Автор: 𝐓𝐡𝐞 𝐏𝐞𝐫𝐟𝐞𝐜𝐭 𝐈𝐭𝐢𝐧𝐞𝐫𝐚𝐫𝐲

Загружено: 2022-08-07

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Описание:

How many Talab are there in Bhopal? |भोपाल का बड़ा तालाब |Upper Lake Bhopal | #bhopal

video Highlights-:



-:180rs.per person for Cruise boat (Ride of 45 mins)
 -:80rs. per person for Paddle Boat

 Upper Lake Bhopal Timings

DayTiming -:
Monday6:00 am – 7:00 pm
Tuesday6:00 am – 7:00 pm
Wedesday6:00 am – 7:00 pm
Thursday6:00 am – 7:00 pm
Friday6:00 am – 7:00 pm
Saturday6:00 am – 7:00 pm
Sunday6:00 am – 7:00 pm



भोपाल के 'बड़े तालाब' का निर्माण 11वीं सदी में परमार वंश के राजा भोज ने करवाया था। बेहद प्राचीन और जनउपयोगी इस जलाशय का इतिहास अनेक खट्टे-मीठे अनुभवों से भरा हुआ है। उपलब्ध ऐतहासिक अभिलेखों के आधार पर यह माना जाता है कि धार प्रदेश के प्रसिद्ध परमार राजा भोज एक असाध्य चर्मरोग से पीड़ित हो गए थे। एक संत ने उन्हें सलाह दी कि वे 365 स्त्रोतों वाला एक विशाल जलाशय बनाकर उसमें स्नान करें। साधु की बात मानकर राजा भोज ने राजकर्मचारियों को काम पर लगा दिया। इन राजकर्मचारियों ने एक ऐसी घाटी का पता लगाया, जो बेतवा नदी के मुहाने स्थित थी। लेकिन उन्हें यह देखकर झुंझलाहट हुई कि वहाँ केवल 356 सर-सरिताओं का पानी ही आता था। तब 'कालिया' नाम के एक गोंड मुखिया ने पास की एक नदी की जानकारी दी, जिसकी अनेक सहायक नदियाँ थीं। इन सबको मिलाकर संत के द्वारा बताई गई संख्या पूरी होती थी। इस गोंड मुखिया के नाम पर इस नदी का नाम 'कालियासोत' रखा गया, जो आज भी प्रचलित है। लेकिन राजा भोज की चुनौतियों का दौर अब भी समाप्त नहीं हुआ था।

बेतवा नदी का पानी इस विशाल घाटी को भरने के लिए पर्याप्त नहीं था। इसलिए इस घाटी से लगभग 32 किलोमीटर पश्चिम में बह रही एक अन्य नदी को बेतवा घाटी की ओर मोड़ने के लिए एक बांध बनाया गया। यह बांध आज के भोपाल शहर के नजदीक भोजपुर में बना था। इन प्रयासों से जो विशाल जलाशय बना, उसका नाम 'भोजपाला' रखा गया। उसका विस्तार 65,000 हेक्टेयर था और कहीं-कहीं वह 30 मीटर गहरा था। यह प्रायद्वीपीय भारत का कदाचित सबसे बड़ा मानव-निर्मित जलाशय था। उसमें अनेक सुंदर द्वीप थे, और उसके चारों ओर खुबसूरत पहाड़ियाँ थीं। वह प्रसिद्ध भोजपुर शिवालय से आज के भोपाल शहर तक फैला हूआ था। कहते हैं कि राजा भोज इस जलाशय में स्नान करके अपने रोग से मुक्त हो गए। राजा भोज द्वारा निर्मित विशाल जलाशय 'भोजपाला' की वजह से ही इस शहर का नाम धीरे-धीरे 'भोजपाल' और बाद में 'भोपाल' हो गया।[1]

होशंगशाह द्वारा बांध को तुड़वाना
बेतवा नदी के बहाव को रोकने के लिए भोजपुर में जो मुख्य बांध बनाया गया था, वह पत्थरों से निर्मित था। इस बांध को 1443 ईस्वीं में होशंगशाह ने तुड़वा दिया था। कहा जाता है कि उसके सैनिकों को बांध तोड़ने में 30 दिन लग गए। बांध के टूटने के बाद भी जलाशय को पूरा सूखने में 30 वर्ष लगे। तालाब की सूखी जमीन पर आज बसाहट है। कालान्तर में भोजपुर का बांध तोड़ दिया गया, लेकिन भोपाल में कमला पार्क के पास जो मिट्टी का बांध था, वह बच गया। उसके कारण एक छोटा जलाशय शेष रह गया। इसी को आज बड़ा तालाब कहते हैं। वर्ष 1694 में नवाब छोटे ख़ान ने बड़े तालाब के पास बाण गंगा पर एक बांध बनवाया, जिसके कारण छोटा तालाब अस्तित्व में आया। यह दोनों तालाब आज भी धार के दूरदर्शी राजा भोज की स्मृति को अमर बनाए हुए है।

जल संग्रहण क्षमता
वर्ष 1963 में भदभदा पर एक बांध बनाकर बड़े तालाब की जल संग्रहण क्षमता को बढ़ाया गया। इससे बड़े तालाब के पश्चिमी और दक्षिणी भागों के डूब क्षेत्र में वृद्धि हुई। बड़े तालाब का जल विस्तार क्षेत्र लगभग 31 वर्ग किलोमीटर है, जबकि छोटे तालाब का जल विस्तार क्षेत्र मात्र 1.29 वर्ग किलोमीटर है। इन तालाबों की औसत गहराई 6 मीटर है। कुछ स्थानों में गहराई 11 मीटर है। बड़े तालाब की जल संग्रहण क्षमता 1160 लाख घन मीटर है। यह पानी तालाब के जलग्रहण क्षेत्र में हुई वर्षा से आता है और अंतत: भोपाल के रहवासियों को घरों के नलों से पेयजल के रूप में उपलब्ध होता है। भोपाल के तालाबों के नीचे की चट्टानें डेक्कन ट्रैप बेसाल्ट प्रकार की हैं, जो ज्वालामुखियों के लावा के बहने और तुरंत ठंडा होने के कारण बनी हैं। जिस भू-भाग में भोपाल का तालाब स्थित हैं, प्राचीन समय में उस भू-भाग में काफ़ी भूगर्भीय उथल-पुथल हुई थी।[1]
भोजताल, जिसे पहले अपर लेक के नाम से जाना जाता था, एक बड़ी झील है जो मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल, भारत के पश्चिमी किनारे पर स्थित है ।


भोपाल में एक कहावत है “तालों में ताल भोपाल का ताल बाकी सब तलैया”, अर्थात यदि सही अर्थों में तालाब कोई है तो वह है भोपाल का तालाब। भोपाल की यह विशालकाय जल संरचना अंग्रेजी में “अपर लेक” (Upper Lake) कहते हैं इसी को हिन्दी में “बड़ा तालाब” कहा जाता है। यह एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झील भी कहा जाता है। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के पश्चिमी हिस्से में स्थित यह तालाब भोपाल के निवासियों के पीने के पानी का सबसे मुख्य स्रोत है। भोपाल की लगभग 40% जनसंख्या को यह झील लगभग तीस मिलियन गैलन पानी रोज देती है। इस बड़े तालाब के साथ ही एक छोटा तालाब (Small Lake) भी यहाँ मौजूद है और यह दोनों जलक्षेत्र मिलकर एक विशाल “भोज वेटलैण्ड” का निर्माण करते हैं, जो कि अन्तर्राष्ट्रीय रामसर सम्मेलन के घोषणापत्र में संरक्षण की संकल्पना हेतु शामिल है।
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