गुटबाजी और पास्टर की आराधना
Автор: Aatmik Unnati Seva
Загружено: 2025-09-26
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कुरिन्थ की कलीसिया में झूठी शिक्षा
1. गुटबाजी और पास्टर की आराधना (1 कुरि. 1:10–13; 3:3–23)
• लोग कहने लगे:
“मैं पौलुस का हूँ”
“मैं अपुल्लोस का हूँ”
“मैं कैफास (पतरस) का हूँ”
“मैं मसीह का हूँ”
यह शिक्षा आई कहां से थी:- यह शिक्षा ग्रीक दार्शनिक विद्यालयों जैसी थी, जहाँ विद्यार्थी किसी विशेष शिक्षक को गुरु मानते थे।
परिणाम → कलीसिया में फूट, प्रतिस्पर्धा, और घमंड।
पौलुस ने सिखाया: मसीह विभाजित नहीं हुआ। सेवक तो केवल माध्यम हैं, पर सब कुछ मसीह का है।
भारत में शिक्षा:- आत्मिक पिता और पापा की शिक्षा
1. हिन्दू धर्म
2. बौद्ध धर्म
3. जैन धर्म
4. सिख धर्म
पूरा धर्म ही गुरु सिद्धान्त पर आधारित है।
दस गुरुओं की परम्परा और अंत में गुरु ग्रन्थ साहिब को "सद्गुरु" माना जाता है।
"गुरु नानक" से लेकर "गुरु गोबिन्द सिंह" तक, गुरु को ही ईश्वर तक पहुँचने का माध्यम बताया गया।
कलीसिया पर इसका प्रभाव:- ऐसा माना जाता है कि भारत में इसका प्रभाव पंजाब से पड़ा। कारण वहां पास्टर अंकुर नरुला और अन्य पास्टर वहां के है. सिख धर्म पूरा ही गुरु सिद्धान्त पर आधारित है। जिसके कारण पास्टर अपने आपको आत्मिक पिता और पापा कहलाने लगे और विश्वासी भी पास्टर को आत्मिक पिता और पापा कहने लगे। जब कि यीशू प्रभु ने रब्बी, पापा और स्वामी कहलाने से मना किया था। मत्ती 23:8-10
वे प्रेरित जिन्होंने आराधना करवाने से मना किया
1. पतरस (Peter)
प्रेरितों के काम 10:25-26
जब कुरनेलियुस पतरस के पाँव पर गिरकर उसे प्रणाम करने लगा, तो पतरस ने उसे उठाया और कहा
“तू भी मनुष्य है, मैं भी मनुष्य हूँ।”
यहाँ पतरस ने आराधना स्वीकार नहीं की।
2. पौलुस और बरनबास (Paul & Barnabas)
प्रेरितों के काम 14:11-15
लुस्त्रा नगर में जब एक लंगड़े को चंगा किया गया, तब लोग पौलुस और बरनबास को देवता मानकर बलिदान चढ़ाने लगे।
वे चिल्ला उठे: “हे मनुष्यों, तुम ये क्या करते हो? हम भी तुम्हारे समान मनुष्य हैं, और तुम्हें सच्चे जीवते परमेश्वर की ओर फेरने का सुसमाचार सुनाते हैं।”
उन्होंने लोगों को रोका और परमेश्वर की ओर इशारा किया।
कुरिन्थ के विश्वासियों से भी गुरु कहवाने या पापा कहवाने से इंकार किया। 1 :11-13; 3:1-23
3. योहन (John, प्रेरित)
प्रकाशितवाक्य 19:10 और 22:8-9
जब स्वर्गदूत के दर्शन में यूहन्ना गिरकर आराधना करने लगा, तो स्वर्गदूत ने कहा –
“ऐसा मत कर! मैं तेरे और तेरे भाइयों का संगी दास हूँ; परमेश्वर की ही आराधना कर।”
यहाँ सीधे प्रेरित ने आराधना नहीं रोकी, बल्कि प्रेरित को आराधना से रोका गया। पर यह भी दिखाता है कि प्रेरित स्वयं कभी आराधना करवाने के पक्ष में नहीं थे।
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