गिनती के मोती अनंत के पंख सपनों की गंगा बहाए | Srinivasa Ramanujan |
Автор: Prof. Mehar Chand
Загружено: 2025-12-09
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गिनती के मोती
अनंत के पंख
सपनों की गंगा
बहाए हर रंग
कागज़ पे लिखा
जो दिल ने कहा
रातों की चादर
गणित से सजा
[Chorus]
रामानुजन का जादू
समझे न कोई
साधारण सा जीवन
पर ज्ञान की होई
संख्याओं का गीत
उनकी बातों में बसा
आकाश से भी ऊंचा
जो उन्होंने लिखा
[Verse 2]
मद्रास की गलियों में
गूंजा वो नाम
दुनिया ने पहचाना
उसका अद्भुत काम
बिना किताबों के
जो हल लिख गया
गणित का वो राजा
इतिहास में छिपा
[Prechorus]
संख्याओं की धड़कन
उसके दिल में थी
हर समीकरण में
उसकी सच्चाई थी
[Chorus]
रामानुजन का जादू
समझे न कोई
साधारण सा जीवन
पर ज्ञान की होई
संख्याओं का गीत
उनकी बातों में बसा
आकाश से भी ऊंचा
जो उन्होंने लिखा
[Bridge]
शून्य से अनंत तक
उसने देखा सफर
हर सूत्र में छिपा
था ब्रह्मांड का असर
कैम्ब्रिज की गलियां
उसकी गूंज से भरी
गणित के मंदिर में
उसकी पूजा हुई
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