निरोगी काया के लिए जपें ये पांच मंत्र || Mantra Vigyan || Health ||Yog Bhooshan Maharaj
Автор: Yog Bhooshan Maharaj
Загружено: 2021-01-03
Просмотров: 27768
निरोगी काया के लिए जपें ये पांच मंत्र
◆ मंत्रों में शक्ति होती हैं। मंत्र ब्रह्माण्ड की ध्वनि होते हैं। मंत्र का निर्माण कैसे होता हैं ? आख़िर मंत्र कैसे आपके जीवन पर प्रभाव डालते हैं ? पहली बार देश के सबसे ज्ञानी मंत्र महर्षि योगभूषण जी महाराज लेकर आ रहे हैं मंत्रों का मूल ज्ञान।
◆ #मंत्रसाधना और #मंत्रसिद्धि के बारे में अनेकों रहस्य हैं, सभी लोगों के अंतरंग में इस विद्या के बारे में अनेकों जिज्ञासा हैं जिनका सरल और सटीक समाधान हम यहां इस चैनल के माध्यम से कर रहे हैं ।
◆ अपने अंदर छिपी हुई #आध्यात्मिक शक्तियों को जगाने का एकमात्र माध्यम है #मंत्र #साधना ।
जिसके लिए अलग अलग व्यक्ति अलग अलग तरह से उपाय और प्रयास करते हैं ।
◆ शास्त्रों में वर्णन हैं 'पहला सुख निरोगी काया' यदि आपका शरीर स्वस्थ नहीं हैं तो आपका मन भी स्वस्थ नहीं होगा और उससे आपका व्यवहार भी काफी चिड़चिड़ा हो जाता हैं।
◆ यदि किसी भी प्रकार के सुख को आप भोगना चाहते हैं तो उसके लिए सबसे पहले आपके शरीर की निरोगता का होना बहुत जरूरी हैं।
◆ अपने घर के वातावरण पर थोड़ा ध्यान दें, आपके घर में बहुत अधिक नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होने के कारण भी आपके शरीर में बहुत - सारी बीमारियों का आना-जाना बना रहता हैं।
◆ आपके भोजन का शुद्ध होना और सात्विक होना बहुत जरूरी हैं और भोजन मंत्र बोलकर ही भोजन करना प्रारंभ करें क्योंकि आहार ही औषधि हैं. इसलिए छोटी-मोटी बीमारियों से बचने के लिए ही औषधि बना लें।
◆ यदि आप अपने शरीर को सम्पूर्ण तरीके से स्वस्थ करना चाहते हैं यदि आपके शरीर में बहुत सारी बीमारियाँ लगातार बनी रहती हैं तो जपें ये पंच औषधि मंत्र :-ॐ ह्रीं अर्हं णमो आमोसहि पत्ताणं।
ॐ ह्रीं अर्हं णमो खेल्लो सहि पत्ताणं।
ॐ ह्रीं अर्हं णमो जल्लो सहि पत्ताणं ।
ॐ ह्रीं अर्हं णमो विप्पो सहि पत्ताणं ।
ॐ ह्रीं अर्हं णमो सव्वोसहि पत्ताणं झ्रौं झ्रौं नमः ।।
◆ इस मंत्र को रोजाना कम से कम 27 बार या 108 बार अवश्य जपें और पूर्व दिशा की ओर मुख करके जाप करें।
◆ मंत्र जाप के समय अपने सामने एक पात्र में गुनगुना पानी भरकर रखें पानी में 3 लौंग अवश्य डालें पात्र सोने का,चांदी, कांसे, पीतल या तांबे का होना चाहिए, पात्र स्टील या तांबे का न हो इस बात का ध्यान रखें इस पात्र को अपने सामने लकड़ी के पाटे पर रखें।
◆ इस मंत्र की साधना से असाता वेदनीय कर्म का उपशमन होगा और साता वेदनीय कर्म का उदय होगा इसके परिणामस्वरूप आपको शरीर की निरोगता प्राप्त होगी ।
◆ मंत्र की सिद्धि के लिए, मंत्र की शुद्धि अति आवश्यक हैं इसलिए मंत्र का उच्चारण शुद्ध होना चाहिए।
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About :
स्वस्थ, सुखद एवं समृद्धशाली जीवन के प्राचीनतम महाविज्ञान को हम तक पहुंचाने वाले परम श्रद्धेय मंत्र महर्षि श्री योगभूषण जी महाराज एक मानवतावादी आध्यात्मिक संत हैं, जो मानवीय जीवन के उत्थान, कल्याण और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना के लिए समर्पित हैं ।
जिनके धार्मिक - वैज्ञानिक प्रवचन जन - गण - मन में एक दिव्य ऊर्जा का संचार करते हैं, जिनकी ओजपूर्ण वाणी जन-जन को भारतीय संस्कृति और धर्म से जोड़ती हैं, ऐसे धर्मयोगी संत श्री योगभूषण जी महाराज की वाणी को इस चैनल के द्वारा आप तक पहुंचाया जा रहा हैं।
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#MantraVigyan #Yogbhooshan #health
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