रेलवे बोर्ड के JDE और AM अधिकारी पर क्रिमिनल केस की तैयारी!फर्जी SC/ST एसोसिएशन का मामला!
Автор: SR NEWS24 LIVE
Загружено: 2025-12-21
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रेलवे बोर्ड के JDE और AM अधिकारी पर क्रिमिनल केस की तैयारी,
फर्जी SC/ST एसोसिएशन का मामला,
CVC तक पहुँचा मामला,
प्रशासनिक कानून के अनुसार, लंबित कोर्ट केस की जानकारी छुपाया ,
हमारे चेनल के रेलवे संवाददाता नई दिल्ली से बी के सोनू ने अपनी रिपोर्टिंग में विश्लेषण के उपरांत बताया कि
"रेलवे बोर्ड के गलियारों में छिपी एक ऐसी फाइल, जिसने प्रशासनिक मर्यादाओं की धज्जियां उड़ा दीं,
क्या, अपनी कुर्सी और रसूख का इस्तेमाल कर न्यायपालिका को भी अंधेरे में रखने की कोशिश की गई?
आज हमारा चैनल SR NEWS 24 LIVE पर्दाफाश करेगा,
उस नोटशीट का, जो अब रेलवे के दो बड़े अधिकारियों के लिए गले की फांस बन गई है।",
अक्टूबर 2024 में ऑल इंडिया एससी/एसटी रेलवे एम्प्लॉइज़ एसोसिएशन (AISCSTREA) के चुनाव हुए,
रेलवे बोर्ड को केवल चुनाव के परिणामों को रिकॉर्ड पर लेना था, लेकिन JDE (Reservation) गौतम मंडल और AM (Staff) प्रमिला भार्गव रेलवे बोर्ड अधिकारियों द्वारा तैयार की गई ,नोटशीट ने एक पक्षपाती खेल खेला,
नोटशीट में यह तो लिखा गया कि चुनाव 'शांतिपूर्ण' रहे, लेकिन यह 'सत्य' दबा दिया गया कि तीस हजारी कोर्ट, दिल्ली में इस पूरी चुनाव प्रक्रिया की वैधानिकता को चुनौती दी जा चुकी थी,
रेलवे अधिकारियों ने सक्षम प्राधिकारी (Competent Authority) के सामने तथ्यों को इस तरह पेश किया जैसे कोई विवाद ही न हो,
प्रशासनिक कानून के अनुसार, लंबित कोर्ट केस की जानकारी छुपाना 'Misleading the Authority' की श्रेणी में आता है,
सोशल मीडिया और विभागीय हलकों में यह चर्चा तेज है कि फर्जी SC ST एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.एल. बैरवा और महामंत्री अशोक कुमार के गुट को अवैध रूप से स्थापित करने के लिए रेलवे बोर्ड के इन रेलवे अधिकारियों ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया,
मिलिंद अवाड की अध्यक्षता वाली, CEC ने अपने पंजीकरण और वैधानिक दावों के दस्तावेज पेश किए थे,
लेकिन, नोटशीट में उन दावों का जिक्र तक नहीं किया गया,
फाइल में केवल एक पक्ष के दस्तावेजों को आधार बनाया गया, जो सीधे तौर पर Natural Justice (प्राकृतिक न्याय) के सिद्धांतों का उल्लंघन है,
जांच में यह बात सामने आई है कि नोटशीट के अंत में अधिकारियों ने खुद को बचाने के लिए एक छोटा सा वाक्य लिख दिया: "Subject to outcome of court cases" (यदि कोई कोर्ट केस हो, तो उसके फैसले के अधीन),
हमारे चेनल SR NEWS LIVE का सवाल यही हैं,
जब अधिकारियों को पता था कि कोर्ट में केस लंबित है,
तो ,उन्होंने केस नंबर, न्यायालय का नाम और विवाद की प्रकृति का विवरण क्यों नहीं दिया?
क्या, यह केवल अपनी जिम्मेदारी से बचने और एक अवैध चुनाव को मान्यता दिलाने की कोशिश थी?
इस मामले में अब याचिकाकर्ताओं ने आर-पार की जंग का ऐलान कर दिया है,
केंद्रीय सतर्कता आयोग से मांग की गई है कि उन नोटशीट्स की फॉरेंसिक जांच हो और यह देखा जाए कि किस दबाव में तथ्यों को बदला गया,
झूठे सरकारी दस्तावेज बनाने (Forgery/Fabrication of records) और न्यायिक प्रक्रिया में बाधा डालने के लिए दोनों अधिकारियों पर व्यक्तिगत रूप से केस दर्ज करने की तैयारी है
यदि FIR दर्ज होती है या विजिलेंस जांच बैठती है, तो इन रेल अधिकारियों के रिटायरमेंट बेनिफिट्स (Pension, Gratuity) पर तत्काल रोक लग सकती है,
रेलवे बोर्ड जैसे गरिमामय संस्थान में 'नोटशीट' एक पवित दस्तावेज माना जाता है, यदि इसमें अपनी पसंद-नापसंद के आधार पर हेरफेर किया गया है, तो यह केवल प्रशासनिक चूक नहीं, बल्कि एक 'क्रिमिनल कॉन्स्पिरेसी' है। #railwaycorruption #railwayupdate #srnews24live #breakingnews #indianrailways #latestnews #srnews24 #railwaynews #railwayemployees #india #दिल्ली
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