जीव भवचक्र में कब तक भटकता है? सदगुरु श्री अभिलाष साहेब जी।
Автор: KABIR KA ADHYATMA
Загружено: 2025-10-01
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मोक्ष मानव जीवन का परम लक्ष्य है, और इसका सच्चा साधन केवल स्वरूपज्ञान ही है। जब मनुष्य आत्मा के वास्तविक स्वरूप को पहचान लेता है, तब मोह, अज्ञान और बंधनों से मुक्त होकर शांति और आनंद की स्थिति प्राप्त करता है। स्वरूपज्ञान से आत्मा का संबंध समझ में आता है और यही बोध जीव को संसार के चक्र से उबारकर मोक्ष की ओर ले जाता है। इसलिए मोक्ष प्राप्ति के लिए बाहरी साधनों से अधिक आत्मा के स्वरूप का अनुभव आवश्यक है, क्योंकि सच्ची मुक्ति केवल आत्मज्ञान से ही संभव है।
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