इंसान का जन्म केवल शरीर के बनने की प्रक्रिया नहीं है बल्कि
Автор: buddha gyan_10k
Загружено: 2025-12-16
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इंसान का जन्म केवल शरीर के बनने की प्रक्रिया नहीं है बल्कि चेतना, कर्म और प्रकृति के गहरे नियमों का परिणाम है। जब आधुनिक विज्ञान विकासवाद, डीएनए और जैविक क्रम की बात करता है, तब गौतम बुद्ध का ज्ञान मनुष्य के जन्म को केवल शारीरिक घटना नहीं मानता बल्कि इसे चेतना की निरंतर यात्रा बताता है। बुद्ध के अनुसार इंसान का जन्म किसी ईश्वर की अचानक रचना नहीं बल्कि कारण और परिणाम की शृंखला है, जिसे प्रतीत्यसमुत्पाद कहा गया है। यही सिद्धांत बताता है कि कुछ भी बिना कारण के उत्पन्न नहीं होता। इंसान भी नहीं।बुद्ध कहते हैं कि जब तक अज्ञान है, तब तक कर्म है, जब तक कर्म है, तब तक जन्म है। इसका अर्थ यह हुआ कि इंसान का जन्म उसके पूर्व कर्मों की परिणति है। शरीर बदलता है लेकिन चेतना की धारा चलती रहती है। यह धारा किसी आत्मा की तरह स्थिर नहीं बल्कि नदी की तरह प्रवाहित होती
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