शरणागति में मन व बुद्धि दोनों का दान हो : सुश्री अखिलेश्वरी दीदी
Автор: Radha Govind Mandir, Chandigarh
Загружено: 2019-08-14
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जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज की विशेष कृपापात्री
सुश्री अखिलेश्वरी दीदी द्वारा प्रवचन श्रृंखला भाग-24
"शरणागति किसे कहते हैं?
श्रीकृष्ण ने गीता में अर्जुन से कहा
सर्व धर्मान् परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
अर्जुन! सब धर्मों को छोड़कर...ना तू धर्म की शरण में जा, ना अधर्म की शरण में जा। युद्ध कर, ये भी ना कर। युद्ध ना कर, ये भी ना कर, ये कर। यानी कुछ ना कर।
बस, मेरी शरण में आ जा।
मामेकं शरणं व्रज।
बस, इसी कुछ ना करने का नाम शरणागति है। और इस कुछ न करने रूपी शरणागति से ही भगवत्कृपा होती है।"
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