मनुष्य अपने भाग्य का स्वयं निर्माता है।
Автор: MYEARTH MISSION
Загружено: 2017-07-24
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मानव मस्तिष्क और विचार शक्ति, विचार रूपी बीज, मनुष्य एक दिव्म गुणों की खेती करने वाला महाकिसान है, मानव मस्तिष्क एक दिव्य धरती का श्रीक्षैत्र है, जैसा बीज वैसी फसल, जैसा बोओगे वैसा काटोगे, दिव्य गुणों की खेती करने वाला ही सच्चा ब्रह्मचारी होता है।
भाग्यवाद में भरोसा करना मानव जन्म का अपमान है, सौ बार किसी झूठ को बोलने से उस झूठ को हमारा दिमाग सत्य मान लेता है, N L P ( Neurolinguistic programming ) का वैज्ञानिक सिद्धांत हमें इस सत्य के दर्शन कराता है, सत्यात् नास्ति परो धर्मः।
सत्य की विजय हो, ऐसी अभिलाषा के साथ।
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