Kathavarta: Harishankar Parsai, Apni Apni Haisiyat, हरिशंकर परसाई अपनी अपनी हैसियत Parsai कथावार्ता
Автор: KathaVarta
Загружено: 2020-10-10
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original text of Apni Apni Haisiyat, written by Harishankar Parsai
हरिशंकर परसाई का यह निबन्ध धनलिप्सा में चूर लोगों की फूहड़ता और कुरुचि पर तीक्ष्ण व्यंग्य है। धन के मद में चूर लोग मृत्यु को एक अवसर की तरह लेते हैं, जीवन के गरिमामय प्रसंगों को प्रदर्शन की वस्तु बना देते हैं। उनकी हर गतिविधि आडंबर से परिपूर्ण होती है। परसाई इस वृत्ति पर कुठाराघात करते हैं। वह धन की देवी लक्ष्मी से निवेदन करते हैं कि धन के साथ साथ वह सुरुचि भी दें। वह लिखते हैं- "पैसा ऊपर हो जाता है तो वह अपना रूप प्रकट करने लगता है।" उनका कहना है कि विश्वास और संस्कार के नाम पर कुछ लोग छल भी करते हैं और यह छल उनकी भाषा में भी आ जाता है।
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