जीवाणा में है गुंबद वाला इकलौता बायोसा माता मंदिर, मान्यता और चमत्कार से जुड़ा अनोखा धाम जाने कहानी
Автор: Jalore History
Загружено: 2025-09-19
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जीवाणा में है गुंबद वाला इकलौता बायोसा माता मंदिर, मान्यता और चमत्कार से जुड़ा अनोखा धाम जाने कहानी
जालोर ( 20 सितंबर 2025 ) नवरात्र स्थापना से पहले जालौर का इतिहास और यहां के मंदिरों की गाथाएं एक बार फिर चर्चा में हैं। जालौर की धरोहरें और धार्मिक स्थल केवल संस्कृति का आईना नहीं, बल्कि आस्था और मान्यताओं की जीवंत मिसाल भी हैं। इसी क्रम में जीवाणा गांव का बायोसा माता मंदिर अपनी अनोखी पहचान और रहस्यमयी मान्यता के कारण प्रदेशभर में खास महत्व रखता है।
जालौर की संस्कृति और मंदिरों की धड़कन
हम सभी जानते हैं कि हमारे देश में असंख्य मंदिर हैं और हर मंदिर से जुड़ी अलग-अलग कथाएं, परंपराएं और मान्यताएं हैं। जालौर का इतिहास भी इन्हीं धार्मिक धरोहरों से सजीव होता है। अगर आप आहोर और जीवाणा क्षेत्र से जुड़े हैं, तो यह जानकारी आपके लिए विशेष महत्व रखती है, क्योंकि यहां के मंदिरों का इतिहास स्थानीय संस्कृति और आस्था से गहराई से जुड़ा है।
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जीवाणा का रहस्यमयी बायोसा माता मंदिर
आम तौर पर बायोसा माता के मंदिरों पर गुंबद का निर्माण नहीं किया जाता। मान्यता है कि अगर गुंबद बनता भी है तो वह स्वयं ही टूट जाता है। लेकिन जीवाणा का बायोसा माता मंदिर इस परंपरा का अपवाद है। यहां बना गुंबद वर्षों से सुरक्षित है और यही इसकी सबसे बड़ी विशेषता है।
करीब डेढ़ सौ वर्ष पूर्व ठाकुर देवीसिंह मेड़तिया की धर्मपत्नी मेहताब कंवर जब रामदेवरा दर्शन करने गईं, तो उन्हें बायोसा माताजी ने साक्षात दर्शन देकर जीवाणा चलने की इच्छा जताई। इसके बाद माताजी की स्थापना गांव के खेत में खेजड़ी के पेड़ के नीचे की गई। खेत मालिक प्रतापजी खवास ने संतान प्राप्ति की मनोकामना की और इच्छा पूरी होने पर खेत माताजी को समर्पित कर दिया।
शुरुआत में यह स्थान केवल एक चौकी के रूप में था। बाद में संत रामानंद सरस्वती महाराज की प्रेरणा से भव्य मंदिर का निर्माण किया गया और 7 मार्च 1999 को साधु-संतों की मौजूदगी में प्राण-प्रतिष्ठा हुई। आज यह मंदिर गुंबद सहित सुरक्षित खड़ा है और हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है।
नवरात्र स्थापना और धार्मिक आयोजन
इस वर्ष 22 सितंबर को नवरात्र स्थापना होगी। शक्ति की उपासना का यह पर्व पूरे देश में हर्ष और श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा। जालौर और जीवाणा क्षेत्र में भी धार्मिक आयोजन शुरू हो जाएंगे। जीवाणा के बायोसा माता मंदिर में हर साल भाद्रपद शुक्ला बारस को विशाल जागरण और तेरस को भव्य मेले का आयोजन होता है। भक्त अपनी मनोकामनाएं पूरी होने पर मेले और भजन संध्याओं का आयोजन करवाते हैं।
पिछले वर्ष 2023 में मंदिर परिसर में गार्डन विकसित किया गया, जिसमें विभिन्न प्रजातियों के पौधे और दूब घास लगाए गए। इससे मंदिर क्षेत्र का सौंदर्य और भी निखर गया है।
श्रद्धालुओं की आस्था का अद्वितीय धाम
भक्तों का कहना है कि जीवाणा का यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह एक चमत्कारिक धाम भी है। यही कारण है कि प्रदेशभर के श्रद्धालु इसे अद्वितीय मानते हैं और यहां दर्शन के लिए दूर-दूर से पहुंचते हैं।
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