आंखों में हमारी नयी दुनिया के ख़्वाब हैं Aankhon me hamari nayi duniya ke khwab hain
Автор: Vihaan - cultural forum
Загружено: 2018-10-16
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आंखों में हमारी नयी दुनिया के ख़्वाब हैं।
शशि प्रकाश
प्रस्तुति - विहान सांस्कृतिक मंच
आंखों में हमारी नयी दुनिया के ख़्वाब हैं
दुनिया के हर सवाल के हम ही जवाब हैं
आंखों में हमारी नयी दुनिया के ख़्वाब हैं।
इन बाजुओं ने साथी ये दुनिया बनायी है
काटा है जंगलों को,बस्ती बसाई है
जांगर खटा के खेतों में फसलें उगाई हैं
सड़कें निकाली हैं अटारी उठाई है
ये बांध बनाये हैं फ़ैक्टरी बनाई है
हम बेमिसाल हैं हम लाजवाब हैं
आंखों में हमारी नयी दुनिया के ख़्वाब हैं।
अब फिर नया संसार बनाना है हमें ही
नामों-निशां सितम का मिटाना है हमें ही
अब आग में से फूल खिलाना है हमें ही
फिर से अमन का गीत सुनाना है हमें ही
हम आने वाले कल के आफताबे-इन्क़लाब हैं
आंखों में हमारी नयी दुनिया के ख़्वाब हैं।
हक़ के लिये अब जंग छेड़ दो दोस्तो
जंग बन के फूल उगेगा दोस्तो
बच्चों की हंसी को ये खिलायेगा दोस्तो
प्यारे वतन को स्वर्ग बनायेगा दोस्तो
हम आने वाले कल की इक खुली किताब हैं
आंखों में हमारी नयी दुनिया के ख़्वाब हैं।
-शशि प्रकाश
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