इंसान खुद से दूर कैसे जाता है? | how we move away from self ?
Автор: mukti marg
Загружено: 2025-10-31
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इस वीडियो में U.G. Krishnamurti मानवीय प्राकृतिक स्वरूप और खुद से दूर जाने की प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हैं। वे कहते हैं कि संवाद आवश्यक नहीं है और ना ही संभव है; स्वयं को जानना किसी शब्द या तकनीक द्वारा नहीं, बल्कि समझने से होता है। हर व्यक्ति की प्राकृतिक अवस्था कोई विशेष या धार्मिक उपलब्धि नहीं बल्कि सहज स्थिति है, लेकिन हम आदर्शों, मुक्ति या मोक्ष की तलाश में खुद से दूर चले जाते हैं।[1]
Krishnamurti के अनुसार, विचार ही एकमात्र उपकरण है, और यह संस्कृति व शिक्षा का उत्पाद है; यही प्राकृतिक अवस्था में रुकावट बनता है। विचार की गति, वर्षों पुरानी आदतों के कारण रुकती नहीं लेकिन जब हम देखें कि इसमें कुछ किया नहीं जा सकता तो विचार स्वाभाविक रूप से शांत हो जाता है। विचार या विचार रहित अवस्था के भ्रम में धार्मिक शिक्षक हमें उलझा देते हैं, जबकि सच्चाई यह है कि विचार केवल मृत्यु के बाद ही समाप्त होता है।[1]
वह बताते हैं कि दुनिया से भागने की कोशिश, साधना या किसी आदर्श व्यक्ति की नकल ही इंसान को उसके स्वाभाविक स्वरूप से दूर करती है। हर व्यक्ति जब कुछ नया पाने या जानने की कोशिश करता है तभी खुद से दूर जाता है, और कोई भी प्रणाली या साधना यही दूरी बढ़ाती है। अपने प्राकृतिक स्वरूप में रहना ही सबसे बड़ा साहस है; क्योंकि यही आसान है, लेकिन लोग खुद से दूर किसी दूसरे की तरह बनना चाहते हैं।[1]
अंत में, वे स्पष्ट करते हैं कि शांति, मुक्ति, प्रेम, ज्ञान केवल शब्द हैं, इनके पीछे भागना ही वास्तविकता से दूर होना है। जब व्यक्ति यह पूरी तरह समझ लेता है कि कोशिश का कोई अर्थ नहीं है, तब समस्या समाप्त हो जाती है और इंसान स्वयं में स्थिर रहता है।[1]
यह वीडियो आपको यह देखने और समझने के लिए प्रेरित करता है कि खुद से दूर जाने की प्रक्रिया हमारी चेष्टा, आदर्श और संस्कृति से जुड़ी है, और वास्तविकता को जानने के लिए बस खुद को समझ लेना ही पर्याप्त है।[1]
Sources
[1] इंसान खुद से दूर कैसे जाता है? | how we move away from self ? #ugkrishnamurti • इंसान खुद से दूर कैसे जाता है? | how we mo...
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