श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 1 श्लोक 34–35 | "अर्जुन का धर्मसंकट ..."
Автор: Geeta Gyaan Swami Ramsukhdas Ji ke Saath
Загружено: 2025-12-12
Просмотров: 20
श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 1 श्लोक 34–35 | जब अपने ही सामने हों… धर्म का संकट गहरा हो जाता है | #SadhakSanjeevani
Jai Shree Krishna 🙏
Geeta Gyan by Swami Ramsukhdas Ji
इस श्लोक में अर्जुन कहते हैं--
“मुझे अपने ही कुल-गुरु, पिता, पुत्र, पितामह, नाना, श्वसुर, दादा, भाई—सब युद्ध के मैदान में दिखाई दे रहे हैं…
और मैं इन्हें कैसे मार सकता हूँ?
त्रैलोक्य-राज्य भी मिल जाए, तब भी मैं इनका वध नहीं करना चाहता।”
अर्जुन का हृदय करुणा से भर जाता है। वह समझ नहीं पाते कि—
👉 क्या धर्म पालन के लिए अपने ही प्रियजनों के विरुद्ध खड़ा होना सही है?
👉 क्या संबंधों से बड़ा कर्तव्य है?
👉 क्या मोह और करुणा निर्णय को धुँधला कर सकती है?
ये श्लोक हमें जीवन का गहरा संदेश देते हैं—
कि कठिन परिस्थितियों में हमारा कर्तव्य ही हमारी दिशा बनता है—भावनाएँ नहीं।
🌼 जीवन का संदेश (Life Lesson)
✨ कभी-कभी सही निर्णय भावनाओं के विरुद्ध होता है।
✨ मोह में लिया गया निर्णय भविष्य का भारी नुकसान बन जाता है।
✨ कर्तव्य का पालन ही मन को स्थिरता देता है।
✨ रिश्तों में सम्मान हो, लेकिन निर्णय विवेक से हों—यही गीता का उपदेश है।
📚 अधिक सीखने के लिए:
पूरा अध्याय 1 देखें—
📺 गीता अध्ययन | साधक संजीवनी…
हमारे चैनल पर अन्य अध्याय और श्लोक भी देखें 👇
📺 YouTube: @geetagyaanswamiramsukhdasjikes
Playlist: “Adhyay 1 – Sadhak Sanjeevani Vyakhya”
#BhagavadGita #Shlok34 #Shlok35 #GitaGyan #SadhakSanjeevani
#SwamiRamsukhdasJi #ArjunKaMoh #GeetaWisdom #Bhakti
#SpiritualKnowledge #KrishnaArjun #BhagwanKrishna
#श्रीमद्भगवद्गीता #जीवन_संदेश
Bhagavad Gita Shlok 34 35 Meaning
Gita Chapter 1 Explanation in Hindi
Arjun Ka Vishad Yog
Sadhak Sanjeevani Adhyay 1
Swami Ramsukhdas Ji Geeta Pravachan
Geeta Path Hindi
Krishna Arjun Dialogue
Bhagavad Gita Motivation
Inner Peace Wisdom
Sanatan Dharma Teachings
Доступные форматы для скачивания:
Скачать видео mp4
-
Информация по загрузке: