B2B और B2C Invoice क्या होता है? | आसान भाषा में पूरा समझिए
Автор: KAITH INSTITUTE
Загружено: 2025-05-04
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B2B (Business to Business) Invoice और B2C (Business to Consumer) Invoice में मुख्य अंतर ग्राहक के प्रकार और टैक्स क्रेडिट से जुड़ा होता है। नीचे आसान भाषा में फर्क समझाया गया है:
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1. B2B Invoice (Business to Business)
ग्राहक कौन होता है: दूसरा रजिस्टर्ड बिज़नेस (जिसके पास GSTIN है)
GSTIN जरूरी: हाँ, ग्राहक का GSTIN अनिवार्य होता है
Input Tax Credit (ITC): ग्राहक को ITC लेने की अनुमति होती है
Invoice Format: GST के अनुसार पूरा विवरण देना होता है जैसे कि GSTIN, HSN Code, Tax breakup (CGST, SGST/IGST)
E-Invoice जरूरी: अगर सप्लायर की टर्नओवर सीमा के अनुसार लागू होता है, तो ई-इनवॉइस अनिवार्य होता है
उदाहरण:
आपने किसी थोक व्यापारी को ₹50,000 का माल बेचा, और वो GST रजिस्टर्ड है — ये B2B इनवॉइस होगा।
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2. B2C Invoice (Business to Consumer)
ग्राहक कौन होता है: फाइनल कस्टमर या अनरजिस्टर्ड व्यक्ति/बिज़नेस (जिसके पास GSTIN नहीं है)
GSTIN जरूरी: नहीं
Input Tax Credit (ITC): ग्राहक को ITC नहीं मिल सकता
Invoice Format: Basic डिटेल्स, GST breakup जरूरी लेकिन ग्राहक का GSTIN नहीं देना होता
E-Invoice जरूरी: नहीं, B2C पर अभी ई-इनवॉइस लागू नहीं है
उदाहरण
आपने किसी आम ग्राहक को ₹1,000 का प्रोडक्ट बेचा, और वो GST रजिस्टर्ड नहीं है — ये B2C इनवॉइस होगा।
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KAITH INSTITUTE
Suresh Kumar
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