साझे के बाप-sajhe ke baap / तीन पांच / teen panch / किस्सा गांव के / kissa ganv ke /35 /3 5
Автор: तीन पांच
Загружено: 2019-12-25
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बिखरते आंगन, टूटते परिवार की हकीकत
साझे के बाप
गृहस्थ जीवन मानव के लिए वरदान स्वरूप ही है क्योंकि पूरे समाज का ढांचा और समाज के सभी वर्ग गृहस्थ पर ही आधारित हैं। आधुनिक सभ्यता में जरूरत से ज्यादा मानसिक चिंताएं आदि की वजह से परिवार टूटने लगे हैं, पारिवारिक मतभेद अपने चरम पर पहुंच जाते हैं। छोटी-छोटी बातें विवाद का रूप ले लेती हैं और घर का माहौल अशांतिमय बन जाता है। ऐसे तनावग्रस्त माहौल में व्यक्ति अपना पूरा ध्यान परिवार पर नहीं रख सकता और सुख, दुख में तबदील होते से नजर आते हैं।
पालिटिक्स में कही अरस्तू की बात मानें तो,
“परिवार तो मनुष्य की दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रकृति द्वारा स्थापित एक संस्था है”।
बघेली बोली केवल दतनिपोरी का माध्यम नही है बल्कि एक भू भाग की संस्कृति है। तीन पांच teen panch 35 का एक प्रयास है कि बघेली बोली में भी मुद्दे लोगों तक पहुँचे।
कलाकार
पूजा तिवारी
रितिका द्विवेदी
रामानुज तिवारी
उमेश लखन
कामता माखन
अलंकृत पांडेय
दीपक पटेल
रामफल तिवारी
बृजेश शुक्ला
मिथलेश तिवारी
टेक्निकल
सौरभ द्विवेदी
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