हर नेत्र सजल, चहुँ ओर धवल, मेवाड़ लिए ह्रदय में, धरा का खरा प्रतिबिम्ब था, परम्पराओं की महक लिए वो ….
Автор: Lakshyaraj Singh Mewar
Загружено: 2025-03-18
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हर नेत्र सजल, चहुँ ओर धवल
मेवाड़ लिए ह्रदय में,
धरा का खरा प्रतिबिम्ब था
परम्पराओं की महक लिए
वो सच्चा अरविन्द था
पहुँचाई अपनी संस्कृति
जग के हर वतन में
लो मेवाड़ी माटी के गौरव ने
प्रस्थान किया गगन में
@chotusinghrawna
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