Gyani Joginder Singh ji jeevni | Part 1
Автор: Shalu Middha[ShaleenMusic]
Загружено: 2025-07-27
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‘संत निरंकारी मिशन के ज्योति स्तम्भ’ नाम से परम पूज्य राज वासुदेव जी तथा उनके पतिदेव परम पूज्य वासुदेव सिंह जी द्वारा लिखित एक पुस्तक संत निरंकारी मण्डल के प्रकाशन विभाग की ओर से प्रकाशित की गई। लेखक महामानवों ने उसे भाग-1 लिख कर हमारे मनों में उसके दूसरे भाग की जिज्ञासा ही पैदा नहीं की बल्कि उसकी प्रतीक्षा भी आरम्भ कर दी। आज वह जिज्ञासा पूर्ण हो रही है और प्रतीक्षा समाप्त।
यूँ तो इस मिशन का बच्चा-बच्चा संत है और संत की परिभाषा में परिपक्वता ही सर्वश्रेष्ठ गुण माना जाता है। कोई संत संगों में अपने विचार प्रकट करके, कोई कविता-पाठ करके तो कोई संगीत अथवा किसी अन्य कला का सहारा लेकर सतगुरु के सत्य, प्रेम तथा शांति के संदेश को जन-जन तक पहुँचाने का प्रयास करता है, ब्रह्मज्ञान के उपदेश को ज्ञानान्द रूपी अद्वैत के वितरण में अपना योगदान देता है। बहुत से ऐसे भी संत हैं जिनका अपना जीवन ही दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन जाता है। उन्हें देखकर ही उनके सच्चेपन तथा निष्कलंक ब्रह्मज्ञान प्राप्त कर लेते हैं, अपना कल्याण कर लेते हैं। यह भी उनका परोपकार है।
परंतु वे विरले ही हैं जिन्हें मिशन के ज्योति स्तम्भ कहा जा सके। वे ऐसे संत हैं, ऐसे गुरुसेवक हैं जिन्होंने ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति की और उसी समय से तन मन धन सब कुछ बढ़चढ़ कर मिशन को पूर्ण समर्पित हो गए।
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