पूर्व जन्म का ज्ञान कैसे होता है और क्या लाभ ❓ स्वामी मुक्तानन्द
Автор: ब्रह्म विद्या Brahma Vidya
Загружено: 2025-12-08
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ब्रह्मविद्या पराविद्या सर्वविद्यावरिष्ठा
संसार में जितनी विद्याएं हैं उसमें ब्रह्मविद्या सर्वश्रेष्ठ विद्या है। ब्रह्मविद्या=ब्रह्म परमात्मा का ज्ञान
जिस को जानने के बाद और कुछ जानने की आवश्यकता इच्छा नहीं रहती है।
जो पाना था पा लिया और कुछ पाने की इच्छा आवश्यकता नहीं रहती।
जो करना था कर लिया और कुछ करने की आवश्यकता इच्छा नहीं रहती है।
पूर्ण तृप्ति कृतकृत्य अनुभव होता है। और ब्रह्मज्ञान के बिना संसार के सब वैभव ऐश्वर्य धन बल पद प्रतिष्ठा आदि मिलने पर भी व्यक्ति तृप्त नहीं हो सकता है।
ब्रह्म ज्ञान प्राप्त होने पर पूर्व के सभी संचित कर्म पाप-पुण्य समाप्त हो जाते हैं (वेदांत दर्शन ४-१-१३,१४..) । जीवन मुक्त हो जाता है नित्यानंद की अनुभूति एवं प्रारब्ध शरीर छूटने पर सभी दुःखों से पूर्ण निवृत्ति पूर्ण मुक्त पूर्ण आनन्द ज्ञान बल सम्पन्न हो जाता है। वह स्थिति ही मनुष्य जीवन का परम लक्ष्य है अत्यन्त पुरुषार्थ है। उस स्थिति को पाने केलिए सब मनुष्यों को प्रयत्न करना चाहिए।
पाप कर्म सर्वथा त्याग,सत्पुरुषों का संग , सद्ग्रंथ स्वाध्याय, सदाचार एवं दीर्घ काल तक श्रद्धा पूर्वक अष्टांग योग का अनुष्ठान=पालन , ईश्वर समर्पण,जप ध्यान उपासना द्वारा समाधि दशा में उत्तरोत्तर उन्नति होकर ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति होती है।
उस प्रयोजन हेतु ब्रह्मविद्या चैनल द्वारा नियमित रूप से आध्यात्मिक ग्रन्थ एवं साधना सम्बंधित विषयों का व्याख्यान रूप लघु प्रयास है।
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