एमू पालन और समेकित कृषि प्रणाली से मिली पहचान : ब्रम्हदेव प्रसाद, शेखपुरा (बिहार)
Автор: Bihar Agricultural University Sabour
Загружено: 2018-10-13
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60 वर्षीय किसान शेखपुरा जिले के चैवारा गाँव निवासी ब्रह्मदेव प्रसाद.. इन्होने कृषि के कई नए तकनिकी का इस्तेमाल करते हुए बहुयामी किसानी में अपनी एक अलग पहचान बना ली है. वैसे तो श्री प्रसाद अपने युवावस्था से ही परंपरागत खेती करते आ रहे थे. परंपरागत खेती में जयादा मुनाफा न मिलने और कुछ नया करने की इच्छा ने इन्हें कृषि विज्ञान केंद्र की ओर ले गया..
ब्रह्मदेव ने सोचा की क्यों न इसमें कुछ नया और प्रेरणा दायक काम जोड़ा जाय जिससे आर्थिक लाभ तो हो ही साथ ही अन्य किसान भी आकर्षित कर सकें .....अपनी इस सोच को कृषि विज्ञान केंद्र के सामने रखा और..... केवीके के सलाह पर ब्रह्मदेव प्रसाद ने इमू पालन शुरू किया... इमू दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी पक्षी है... यह 0 डिग्री तापमान से लेकर लगभग 50 डिग्री तापमान तक आसानी से रह सकती है इसलिए इसे पालने में ब्रह्मदेव प्रसाद को कोई कठिनाई नहीं हुई.... भोजन के रूप में इमू को ग्रेबुल पत्थर और मुर्गियों का दाना दिया जाता है.... श्री प्रसाद का कहना है की जैसे औषधीय पौधा होता है उसी प्रकार इमू एक औषधीय पक्षी है... इमू का एक अंडा बाजार में 500 से 700 रूपये तक और मांस 1000 रूपए कीलो तक बीक जाता है इसके अलावा इसका तेल काफी महंगा लगभग 5000 रूपये लीटर तक मिलता है . इसके अलावा श्री प्रसाद अपने खेतों में प्रयोगात्मक तौर पर कई फसलों.... फलों को लगा कर शोध कर रहे हैं | और जानने की कोशिस कर रहे हैं की कौन सी ऐसी पेड़ पौधा है जिसकी खेती यहाँ के तापमान में लाभप्रद हो सकता है..... आप इनके खेतों में कई ऐसे औषधीय, मसालों के पौधे देख सकते है जैसे.. अंजीर . पत्रक... हिंग.. नवरत्न.. इलाइची... काली मिर्च... लौंग...
जहाँ सिर्फ खेती से सिर्फ परिवार का भरण पोषण ही हुआ करता था वहीँ आज ब्रह्मदेव प्रसाद समेकित कृषि प्रणाली से लगभग 12 से 15 लाख रूपए सालाना आमदनी ले रहे हैं और अपने खेती में नित तये आयामों को जोड़ रहे हैं ..... खेती को नीरस और घाटे का सौदा मानकर कृषि से दूर हो रहे लोगों के लिए ब्रहमदेव प्रसाद इलाके में एक खुशहाल किसान के रूप में चर्चित हो रहे हैं.
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