ऋषिकेश उत्तराखंड राम झुला आणि लक्ष्मण झुला बघून परतीचा प्रवास rishikesh uttarakhand ram zula explore
Автор: mahadkar mehul sawant
Загружено: 2025-12-01
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ऋषिकेश का इतिहास पौराणिक है, जो ऋषि रैभ्य द्वारा भगवान विष्णु की तपस्या और उनके "ऋषिकेश" के रूप में प्रकट होने से जुड़ा है। यह स्थान (spanish) इंद्रियों के स्वामी (हृषिकेश) के नाम पर पड़ा है। ऋषिकेश को "सागों का स्थान" और "योग की वैश्विक राजधानी" भी कहा जाता है, जो गंगा नदी के किनारे स्थित एक पवित्र और प्राचीन तीर्थ स्थल है।
पौराणिक महत्व
ऋषि रैभ्य: यह माना जाता है कि ऋषि रैभ्य ने इसी स्थान पर तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने हृषिकेश के रूप में उन्हें दर्शन दिए थे। तभी से इस स्थान का नाम ऋषिकेश पड़ा।
रामायण से जुड़ाव: ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने रावण का वध करने के बाद ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए इस स्थान पर तपस्या की थी।
भगवान शिव: कुछ कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने विष का पान करने के बाद यहीं पर विश्राम किया था।
अग्नि तीर्थ: एक मान्यता के अनुसार, एक बार भयंकर आग लगने पर शंकर के क्रोध से मुक्ति पाने के लिए अग्नि ने यहां तपस्या की थी, इसलिए इसे अग्नि तीर्थ भी कहा जाता है।
ऐतिहासिक और भौगोलिक महत्व
प्राचीन तीर्थ स्थल: ऋषिकेश एक प्राचीन तीर्थ स्थल है और इसे हिमालय का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है।
पवित्रता: गंगा नदी के यहां बहने के कारण यह स्थान बहुत पवित्र माना जाता है।
योग और आध्यात्मिकता: हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, ऋषिकेश का अर्थ इंद्रियों पर नियंत्रण से है। यह स्थान ऋषि-मुनियों की तपोभूमि रहा है और आज भी इसे योग की वैश्विक राजधानी के रूप में जाना जाता है।
चार धाम का प्रवेश द्वार: यह स्थान केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री जैसे चार धामों का प्रवेश द्वार है।
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