गुल्ली-डंडा: जहाँ हार-जीत से बड़ा बचपन का साथ था।"
Автор: hindi pathshala
Загружено: 2025-12-19
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गुल्ली-डंडा' महान कथाकार मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित एक मर्मस्पर्शी कहानी है। यह कहानी मात्र एक खेल के बारे में नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज के जटिल ढांचों—जैसे जाति, आर्थिक स्थिति और पद-प्रतिष्ठा—पर गहरा प्रहार करती है।
मुख्य विषय:
बचपन की निश्छलता: कहानी की शुरुआत बचपन की उन यादों से होती है जहाँ ऊंच-नीच का कोई स्थान नहीं था। लेखक और उसका दोस्त 'गया' बिना किसी भेदभाव के साथ खेलते थे।
समय का परिवर्तन: वर्षों बाद जब लेखक एक बड़ा अफसर बनकर वापस आता है, तो वह पाता है कि खेल वही है, लेकिन खिलाड़ी बदल गए हैं। अब उनके बीच 'अफसर' और 'मजदूर' की दीवार खड़ी हो गई है।
पद की गरिमा का बोझ: कहानी का सबसे भावुक हिस्सा वह है जब गया जानबूझकर लेखक से हार जाता है। लेखक को अहसास होता है कि उसका "बड़ा आदमी" बनना उसकी सबसे बड़ी हार है, क्योंकि अब उसका दोस्त उसके साथ बराबरी से खेल भी नहीं सकता।
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