“जब अघोरी ने बताया — असली रहस्य क्या छुपा है कैलाश पर्वत में!”
Автор: Prachin Bharat
Загружено: 2025-11-10
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🕉️ कैलास पर्वत का रहस्यमय वर्णन (Kailash Parvat ka Rahasyamay Varnan):
हिमालय की अनंत श्रृंखलाओं के बीच, जहाँ मानव पग नहीं पहुँच पाते, वहीं उठता है — कैलास पर्वत, जिसे देवताओं का भी देवस्थान कहा गया है।
यह कोई साधारण पर्वत नहीं, बल्कि स्वयं भगवान शिव का दिव्य आसन है। इसकी आकृति एक विशाल शिवलिंग के समान दिखाई देती है, मानो सृष्टि के केंद्र में स्थिर ब्रह्म का प्रतीक हो।
कहा जाता है —
यह पर्वत चार दिशाओं में चार पवित्र नदियों का जन्मदाता है — सिंधु, सतलज, ब्रह्मपुत्र और कर्णाली। इन नदियों का प्रवाह मानो सृष्टि में जीवन का संचार करता है।
कैलास की ऊँचाई लगभग 21,778 फीट है, लेकिन इसकी महिमा इस माप से कहीं अधिक ऊँची है। यहाँ की चट्टानें काली चमकती हैं, जैसे ब्रह्मांडीय ऊर्जा से तराशी गई हों।
रात के समय जब चंद्रमा की रोशनी इन पर पड़ती है, तो यह पर्वत दूधिया आभा में स्नान करता प्रतीत होता है — मानो स्वयं शिव ध्यान में लीन हों।
स्थानीय तिब्बती इसे “कंग रिनपोछे” कहते हैं — अर्थात् ‘अनमोल हिमरत्न’।
हिंदू इसे ‘कैलासेश्वर का निवास’, बौद्ध इसे ‘मंडल का केंद्र’, और जैन इसे ‘अष्टापद तीर्थ’ मानते हैं — जहाँ प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव ने मोक्ष प्राप्त किया था।
कहते हैं —
कैलास की चढ़ाई अब तक किसी मानव ने पूरी नहीं की। जो भी प्रयास करता है, किसी अदृश्य शक्ति द्वारा रोका जाता है। वैज्ञानिकों ने भी यहाँ चुंबकीय असंतुलन, समय-विकृति और अनजाने कंपन दर्ज किए हैं।
कुछ यात्री कहते हैं — जब वे इसके समीप पहुंचे, तो घड़ी की सुइयाँ रुक गईं, दिल की धड़कनें धीमी हो गईं, और मन पूर्ण शांति में विलीन हो गया।
वास्तव में, कैलास कोई पर्वत नहीं —
यह एक आध्यात्मिक द्वार है, जहाँ पृथ्वी और ब्रह्मांड के बीच की सीमाएँ मिट जाती हैं।
यहाँ ध्यान करने वाला स्वयं को नहीं, बल्कि अनंत को देखता है।
और तभी समझ आता है —
कैलास केवल शिव का निवास नहीं, बल्कि स्वयं शिव का रूप है।
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