Gyanganj mai hain Devraha Baba ? Sadguru ke anubhav | part: 8/8
Автор: Shailendra Saxena
Загружено: 2020-06-14
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देवरहा बाबाजी आज भी ज्ञानगंज में हैं? ऐसे संकेत दिए हैं बाबाजी के भक्त और हिमालय के एक योगी ने। उनका कहना है कि उन्होंने हिमालय में साधना के दौरान उनकी विमान यात्रा देखी और दर्शन किए। उसी दिन बाबा वृंदावन में ब्रह्मलीन हो गए थे।किसी भी संत के जीवन से उसकी शिक्षा ग्रहण कर उसे अपने जीवन में उतारने की कोशिश होनी चाहिए। और वर्तमान में जीते हुए उसके हर पल का आनंद लेना चाहिए। बाबा को ब्रह्मऋषि या योगियों के योगी भी कहते हैं। योग शरीर और अंतर्मन दोनों के विकार खत्म करता है। बाबा हमेशा किसी नदी के किनारे मचान पर रहते थे। बाबाजी भाव के साथ भक्ति पर जोर देते थे, जो घर या बाहर कहीं भी हो सकती है। उनका कहना था कि जहां संतों ने साधना की और अवतार अवतरित हुए उस भूमि में जो ऊर्जा है, वहीं जीवन को दिशा देती है, मार्ग प्रशस्त करती है। देवरहा बाबा के भक्त उन्हें अलग अलग नामों से जानते हैं। मचान वाले बाबा, देवरिया बाबा, देवरहा बाबा, पेड़ वाले बाबा। और हवा खाने वाले बाबा। बाबा के नाम के पीछे भी एक कहानी है। बाद में देवरहा बाबा के नाम से विख्यात हुए।
पार्ट - 8/8
कॉपीराइट © शैलेन्द्र सक्सेना
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