हिंग्वा देवता किनाथी गांव का मेला || प्राचीन शिव मंदिर || थड़िया चौफाल गीत ||
Автор: Rawat Manish Vlogs.
Загружено: 21 апр. 2025 г.
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BHOLE BABA प्राचीन शिव मंदिर || हिंग्वा देवता मंदिर मै थड़िया चौफाल गीत और ढोल दमाऊ का अलग ही नजारा || #love #uttakhandi #MANDIR #pahdiculture #bholenath #viral vlogs
जय हिंग्वा मंदिर प्रांगण ग्राम किनाथी का एवम नैनीडांडा ब्लॉक के अन्तर्गत बहुत ही प्राचीनतम एवं मुख्य प्रतिभाशाली मंदिर की श्रेणी में आता है। यह ग्राम देवता का मुख्य प्राचीन मंदिर गांव की पश्चिम-दक्षिण दिशा में बहुत ही रमणीय स्थल में गांव के अंतिम छोर पर गांव से ३-४ किलोमीटर की दूरी पर चारो तरफ से भव्य सुंदर विशाल गांवो, चीड़, साल के जंगलों एवम् सुन्दर सुगम्य अनेक ग्रामों की पहाडियो से घिरा होने के कारण अपनी अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्यता एवम् छटां बिखेरे हुए है। यह दो नदियों के बीच में एक ओर सैणा गदेर तथा दूसरी ओर से छिटोली टांड़ गाडा गदेर के बीच में हिंग्वा गुफा के उपर हिंग्वा थामन नामक जगह चीड़ व साल के जंगल के बीच एक सुन्दर तलहटी पर विराजमान है। तथा इस प्राचीन भव्य मंदिर के आसपास लगभग 6 किलोमीटर पूर्व दिशा में ग्राम अदाली, 3 किलोमीटर ग्राम डोवा, 4 किलोमीटर ग्राम क्वली तथा दक्षिण दिशा में लगभग 3 किमी. की दूरी पर ग्राम शिबाला तथा 4 किमी. पश्चिम दिशा में ग्राम छिटोली, 4 किमी. पश्चिम, तथा दक्षिण में 4 किमी. दूरी पर ग्राम देवलाड स्थित है। तथा मंदिर के नजदीक शिबाला के पदान (मालगुजार) जी का घर, गौशाला व खेत है। जिसे शिबला सैण /डोवा सैण भी कहते हैं। मंदिर प्रांगण में एक प्राचीन विशाल प्राचीन पीपल का वृक्ष एवम् एक नवीन बट वृक्ष भी मौजूद है। इस मंदिर के पुजारी आज तक मुख्य रूप से ग्राम किनाथी के चितोला परिवार से ही होते आए हैं। पूर्व पुजारी स्वर्गीय श्री गबर सिंह रावत चितोला जी हुआ करते थे। आज उनके बड़े सुपुत्र जो कि वर्तमान पुजारी श्री दर्शन सिंह रावत चितोला (पटवारी) जी की रेख देख में हो रही है। जय हिंग्वा महादेव मंदिर की पूजा साल में लगभग दो बार की जाती है।पहली पूजा वैशाख १४ तारीक अप्रैल माह के नववर्ष प्रारंभ में यानि दो गते वैशाख में बहुत ही धूम धाम से की जाती है।और उस दिन सभी ग्राम वासियों द्वारा ढोल दमावो एवम् नंगाड़े, निशाणो के साथ जाकर मंदिर प्रांगण में पुजारी जी के साथ पूजा अर्चना करने के बाद मुख्य रूप से गुड की भेली चढ़ाकर गुड की भेली मंदिर में रखे त्रिशूल से ही भेली को तोड़कर गुड की शिरणी को प्रसाद के रूप में वितरण किया जाता है।सभी भक्तो की मनोकामना पूर्ति हेतु जय हिंग्वा महादेव मंदिर आज भी बहुत ही प्रभावशाली एवं शक्तिशाली मंदिर माना जाता है। ऐसी मान्यता है। मन्नत पूरी होने पर भक्त गण घंटे (घांडी) भी चढ़ाते हैं। तद्पष्चात ग्राम वासियों तथा आस पास के अन्य गांवो के निवासियों द्वारा भव्य मेले का भी आयोजन किया जाता है। तथा किनाथी ग्राम वासियों ओर अन्य ग्रामीण इलाकों के लोगों खासकर ग्राम डोभा, क्वली, शिबाला, छिटोली के लोगो द्वारा सामुहिक परंपराओं पर आधारित लोक गीतों खासकर (थद्दया गीतो) में बड़े बुजुर्गों, महिलाओं, वयस्कों एवम् बच्चो द्वारा सामुहिक गीतो से मंदिर प्रांगण मानो प्रकृति के साथ झूम उठता है।और मंदिर प्रांगण में मेले की शोभा में अत्यंत ही मनोहारी झलकियां देखी जा सकती है।
परन्तु आज भी विडंबना यह है कि मुख्य सड़क पौड़ी बैजरो मोटर मार्ग से अधिक दूरी पर होने के कारण आम आदमी की पहुंच से आज भी जय हिंग्वा मंदिर प्रांगण बहुत दूर लगता है। जय हिंग्वा मंदिर प्रांगण परिसर चारो ओर से सुगम्य उच्च पहाड़ियो, विशाल गांवों ओर साल,चीड के घने जंगलों से घिरा होने के कारण आज भी अपनी महान प्रतिष्ठा सौंदर्यता, गरिमा पवित्रता एवं खूबसूरती से अपनी अद्भुत प्राकृतिक छटा बिखेरे हुए अदालीखाल मोटर मार्ग से आते जाते समय जंगल के बीच चमचमाता सफेद रंग के सौन्दर्य से युक्त सुदूर से ही स्वच्छ दिव्यमय दिखाई देता है। इस पवित्र मंदिर प्रांगण स्थान में पहुंचने का मार्ग अदालीखाल इंटर कॉलेज से नीचे पी. ड़ब्लू . डी.(वंगला) रेस्ट हाउस से नीचे को किनाथी गांव की सीमा से ही प्रवेश कर पैदल यात्रा से ही संपूर्ण गांव से चलकर ही पहुंच सकते हैं। पोस्ट ऑफिस देवलाड़ बस स्टैंड से नीचे या ग्राम सभा के रास्ते से या आस पास के गावो के रास्तों से ग्राम अदाली, डोभा, क्वली, ग्राम डुंगरी से डुमलोट, शिबाला और ग्राम छिटोली के रास्तों से भी दर्शनार्थ हेतु पहुचा जा सकता है।और आप जय हिंग्वा महादेव का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हो।
अगर आप दिल्ली एनसीआर से जाना चाहते हैं, तो राष्ट्रीय राज मार्ग संख्या (एनएच ६६) अथवा आनंद विहार बस अड्डे से बस या टेक्सी द्वारा गाजियाबाद, हापुड़ ,मुरादाबाद, रामपुर तिराहा से काशीपुर ऊधम सिंह नगर, पीरुमदारा से वाया रामनगर (नैनीताल) होते हुए जिम कॉर्बेट नेशनल राष्ट्रीय उद्यान से होकर गढ़वाल मोटर यूजर्स के पौडी जाने वाले पहाड़ी मोटर मार्ग से मोहान, धनगढी एवं प्रसिद्ध जय मां गर्जिया मंदिर होते हुए मर्चूला में चाय नाश्ता और खासकर मर्चुला के स्वादिष्ट छोलो का स्वाद लेकर मुख्य नदी रामगंगा,और आस पास बने होटलों एवम अन्य पहाड़ी ग्रामों और हरे भरे विशाल पहाड़ों और जंगलों का अति सुन्दर नजारा देख सकते हैं।और फिर आगे का मनोहारी सफर शंकरपुर एवं उत्तराखंड के अति प्रसिद्ध मंदिर सल्ड महादेव जो कि (प्रसिद्ध लघुकेदार) के नाम से भी जाना जाता है।आगे सल्ड महादेव से उपर की ओर चलते हुए आई टी आई (औ.प्र.संस्थान सल्ड महादेव) होकर पहाड़ों का अदभुत नजारा देखते हुए खिरैरीखाल से डूंगरी होते हुए मुख्य स्टेशन अदालीखाल से होकर आगे पी. डबल्यू डी.(P.W.D.) रेस्ट हाऊस तक सड़क मार्ग तक जा सकते हैं। आगे आप अपनी पैदल यात्रा आरंभ कर किनाथी गांव में प्रवेश कर गांव के प्रथम छोर से शुरू होकर गांव के आखिरी छोर तक जय हिग्वा मंदिर प्रांगण तक दर्शनार्थ हेतु सुन्दर मनोहारी दृश्यों का लुफ्त उठा कर जय हिंग्वा मंदिर प्रांगण में पहुंच सकते हो।

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