Introduction of Hathpradipika
Автор: RADHIKA YOGA UGC NET JRF COACHING
Загружено: 2025-09-29
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हठयोग प्रदीपिका हठयोग का एक प्रामाणिक और महत्त्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसकी रचना 15वीं शताब्दी में योगी स्वात्माराम ने की थी। यह ग्रंथ गोरक्षनाथ परंपरा से संबंधित है और हठयोग के सिद्धांतों व साधनाओं को व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत करता है।
यह ग्रंथ चार अध्यायों में विभाजित है –
आसन – शारीरिक स्थिरता और स्वास्थ्य के लिए।
प्राणायाम – प्राण और श्वास के नियमन द्वारा नाड़ियों की शुद्धि।
मुद्रा एवं बंध – प्राण को नियंत्रित कर ऊर्जा जागृत करने की विधियाँ।
समाधि – हठयोग और राजयोग का संगम, जो आत्मसाक्षात्कार की ओर ले जाता है।
इसका मुख्य उद्देश्य साधक के शरीर और मन को शुद्ध, सुदृढ़ और संतुलित बनाकर ध्यान व आध्यात्मिक उन्नति के लिए तैयार करना है। यह केवल दार्शनिक चर्चा न होकर, एक व्यावहारिक मार्गदर्शिका है।
संक्षेप में, हठयोग प्रदीपिका शरीर, प्राण और मन की साधना के माध्यम से साधक को मोक्ष की ओर ले जाने वाला मार्ग दिखाती है।
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