मन लागो यार फकीरी में (भाग 2) | भला बुरा सबकी सुन लीजिए | Kabir Vani Meaning | Kabir Bhajan
Автор: i.am.ashish
Загружено: 2025-12-18
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🌿 मन लागो यार फकीरी में — भाग 2
इस वीडियो में हम कबीर साहेब के भजन
“मन लागो यार फकीरी में”
की अगली दो पंक्तियों का गूढ़ भाव समझने की कोशिश करते है।
“भला बुरा सबकी सुन लीजिए,
कर गुज़ारा गरीबी में।”
कबीर यहाँ हमें यह सिखाते हैं कि
जीवन में जो भी कार्य हम करते हैं,
उस पर लोगों की प्रशंसा भी मिलेगी और निंदा भी।
लेकिन फकीरी का मार्ग वह है जहाँ
न प्रशंसा अहंकार बनती है
और न निंदा मन को तोड़ती है।
कबीर की गरीबी
आर्थिक अभाव नहीं,
बल्कि अहंकार, अपेक्षा और सामाजिक सहारे से मुक्त जीवन का प्रतीक है।
इस वीडियो में आप जानेंगे—
• भला-बुरा सुनकर भी स्थिर कैसे रहा जाए
• कबीर की “गरीबी” का वास्तविक आध्यात्मिक अर्थ
• प्रशंसा और निंदा दोनों से ऊपर उठने की कला
• फकीरी को जीवन में कैसे उतारें
• एक ही परम शक्ति पर भरोसा करके कर्म कैसे करें
यह वीडियो उन साधकों के लिए है जो
कबीर को भाव से, अनुभव से और जीवन से जोड़कर समझना चाहते हैं।
🙏 शांति से अंत तक सुनिए
और अपने मन में उठे भाव को साझा कीजिए।
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👉 भाग 1 — मन लागो यार फकीरी में (असली अर्थ)
लिंक: • मन लागो यार फकीरी में | कबीर का असली अर्थ ...
🕊️ Kabir Vani Themes
• फकीरी का मार्ग
• निंदा-प्रशंसा से मुक्ति
• आंतरिक स्वतंत्रता
• प्रमाणिक कर्म
• आध्यात्मिक परिपक्वता
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