भगवत गीता अध्याय 11 भाग 3 विश्वरूप दर्शन योग | विश्वरूप की अभिव्यक्ति का योग
Автор: अद्भुत दुनिया
Загружено: 2025-10-09
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भगवद्गीता अध्याय 11 - विश्वरूप दर्शन योग (ब्रह्मांडीय रूप का दर्शन) 🌺
भगवद्गीता के अध्याय 11 के एक अद्वितीय सिनेमाई संगीतमय प्रस्तुतीकरण के माध्यम से भगवान कृष्ण के विश्वरूप के विस्मयकारी प्रकटीकरण का अनुभव करें। 55 संस्कृत श्लोकों से युक्त यह पवित्र अध्याय, अर्जुन द्वारा परमपिता परमात्मा के अनंत, सर्वव्यापी रूप के दर्शन का वर्णन करता है - एक ऐसा दर्शन जो भव्य और भयावह दोनों है, दिव्य तेज, असंख्य मुखों, भुजाओं और नेत्रों से परिपूर्ण है, और संपूर्ण ब्रह्मांड में व्याप्त है।
🎶 इस संगीतमय यात्रा में, कालातीत संस्कृत श्लोकों को इनके माध्यम से जीवंत किया गया है:
पारंपरिक भारतीय ध्वनियाँ - वीणा, बाँसुरी, तानपुरा, तबला, मृदंग, मंदिर की घंटियाँ
सिनेमाई वाद्यवृंद - तार वाद्य, पीतल वाद्य, गायन मंडली, ताल वाद्य और परिवेशीय ध्वनियाँ
तीन गतियाँ:
1️⃣ श्रद्धा और आह्वान (श्लोक 1-20) - अर्जुन का विनम्र अनुरोध और दिव्य दर्शन प्रदान करना
2️⃣ भयावह ब्रह्मांडीय दर्शन (श्लोक 21-40) - कृष्ण काल के रूप में, लोकों के संहारक
3️⃣ शांति और आश्वासन की ओर वापसी (श्लोक 41-55) - अर्जुन का समर्पण और कृष्ण का कोमल आश्वासन
🙏 यह केवल संगीत नहीं है - यह ध्यान, दर्शन और दिव्य रहस्योद्घाटन है जो ध्वनि के लिए निर्धारित है। संस्कृत मंत्रों, महाकाव्य वाद्यों और भक्ति ऊर्जा से युक्त होकर गीता के सबसे नाटकीय अध्याय के हृदय में आपका मार्गदर्शन करें।
🌌 यह भेंट भक्ति, साहस और भगवद् गीता के शाश्वत ज्ञान के साथ एक गहन संबंध स्थापित करने की प्रेरणा दे।
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