कि अछि मैथिली'क संकट, मिथिला टॉकीज के कुन प्रयोजन?
Автор: Mithila Talkies (मिथिला टॉकीज)
Загружено: 2025-01-01
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नूतन वर्ष की मंगलकामनाएं!
लिंग्विस्टिक सर्वे ऑफ इंडिया के अनुसार भारत में 19,500 से अधिक भाषा/बोली का उपयोग हो रहा है। लेकिन मात्र 121 भाषा/बोली ही ऐसी है, जिसे बोलने वाले मौजूदा समय में 10,000 से अधिक लोग हैं। इसमें मैथिली भी है।
मैथिली, संविधान की आठवीं सूची में शामिल 22 भाषाओं में से एक है। हाल ही में इस भाषा में भारत का संविधान भी जारी किया गया है। बिहार सरकार की काहिली से इस भाषा को शास्त्रीय दर्जा मिलने में देरी हो रही है। पर निकट भविष्य में ऐसा होने की प्रबल संभावना है।
भारतीय लोकभाषा सर्वेक्षण की कुछ साल पहले आई एक रिपोर्ट बताती है कि भारत की करीब 400 भाषा पर विलुप्ति का खतरा है। ऐसी कोई आशंका फिलहाल मैथिली के लिए नहीं है।
लेकिन मौजूदा स्थिति मैथिली के भविष्य को लेकर बेहद आशान्वित नहीं करती। करीब 9 करोड़ मैथिली भाषी लोग हैं, लेकिन 2011 की जनगणना में इसे मातृभाषा बताने वाले डेढ़ करोड़ लोग भी नहीं है। हिंदी को हटा भी दें तो देश की शीर्ष 10 भाषाओं में भी मैथिली की जगह नहीं है। पंजाबी, असमिया जिनके बोलने वालों की संख्या मैथिलों के आगे कहीं नहीं टिकती वे भी इस सूची में हमसे आगे हैं।
यह सूची बताती है कि वही भाषा फल-फूल रही है जिसने अपनी भाषा का उद्योग खड़ा करने में सफलता पाई है। 1983 के एक अध्ययन से पता चलता है कि 2003 तक मैथिली भाषा का भी अपना उद्योग फलते-फूलते दिखना चाहिए था। पर ऐसा नहीं हुआ।
जाहिर है हम उदारीकरण के कारण पैदा हुए अवसर को गंवा चुके हैं। अब हमें डिजिटल क्रांति के कारण पैदा हुए अवसर को भुनाना ही होगा। इस समय डिजिटली जो मैथिली की उपस्थिति दिख रही, उसमें भी इसी क्रांति का योगदान है।
मिथिला टॉकीज मैथिली में एक संस्थान खड़ा करने का प्रयास है। हम अपनी भाषा में रोजगार 'उचित सम्मान और उचित दाम' के साथ सृजित करना चाहते हैं। उम्मीद है कि हमारी इस कोशिश को आप अपनी ऊर्जा प्रदान करेंगे।
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