स्पेशल डिमांड गीत #4 । कैकेई के मन में बियोग, मंड़उवां नाहीं अईलीं। राम क तिलक उतारा, भरत के चढ़ावा!
Автор: SwaRaginee
Загружено: 2022-12-29
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#सोहर
#सोहर_गीत
घर-घर घूमैले नउनीया त गोतिन बटोरैले हो...
राजा राम क चढ़ीहैं तिलकीया, गोतिन सभें आया।
सब सखी तेल लगावैलीं, माथ सवारैलीं हो...
अरे कैकेई के मन में बियोग, मंड़उवां नाहीं अईलीं।
सोने के खरउवां राजा दशरथ, कैकेई के महल गईलैं हो...
रानी कही घला मन क बियोग, मंड़उवां नाहीं अईलू।
बोलीया त ए राजा बोलीला, जउ बात माना उ हो...
राजा राम क तिलक उतारा, भरत के चढ़ावा।
बोलीया त ए रानी बोलैलू, बोलही नाहीं जानैलू हो...
रानी मंगलू तूं प्राण आधार, कौशिल्या रानी क ओठंगन।
रानी डललू करेजवा में हाथ, करेज काढ़ी लिहलू।
पूरब क चांद पश्चिम जईहैं, सूरुजू अलोप होईहैं हो...
राजा ब्रम्हा क बनली पृथिवीया उलटी भले जईहैं,
मंड़उवां नाहीं अईबै।
एतनी बचन राम सुनलैं, सुनही नाहीं पवलैं इ हो...
राम बेटा क धर्म निभवलैं त बन क तईयारी करैं।
सोने के खरउवां राजा रामचंद्र, कौशिल्या के महल गईलैं हो...
अरे आज्ञा करहू मोरी माता, मैं बन के सिधरबै।
घर में से निकलैं कौशिल्या रानी, नयनन नीर ढूरै हो...
अरे मोरे जीभीया प धरहू अंगार, मैं बन कैसे भांखीं।
सोने के खरउवां राजा रामचंद्र, सुमित्रा के महल गईलैं हो...
अरे आज्ञा करहू मोरी माता, मैं बन के सिधरबै।
घर में से निकलैं सुमित्रा रानी, नयनन नीर ढूरै हो...
बेटा लछिमन के लेवहू गोहनवा, दूकेल होई के जाया, दूकेल बनवा जाया।
सोने के खरउवां राजा रामचंद्र, कैकेई के महल गईलैं हो...
अरे आज्ञा करहू मोरी माता, मैं बन के सिधरबै।
घर में से निकलैं कैकेईया रानी, त हंस के बिहंसी बोलैं हो...
बेटा बेलसा अजोधिया क राज, भरत बनवा जईहैं।
लक्ष्मण जी कहते हैं-
माता न जउ मोरी होतू, दरद कुछ जनती उ हो...
माता पिता के तरे तूंहूं अईलू त माता कहईलू।
माता हमके त दीहलू शराप, भरत कैसे जईहैं।
माता हमके लिखल बनवास, भरत कैसे जईहैं।
रंग महलिया राजा दशरथ त राम पउंवा ढारैलैं हो...
पिताजी मुख भर दीहहू असीस, मैं बन के सिधरबै।
गंगा से रेतीया मंगावा त बेदीया बनावा उ हो...
बेटा चांद सूरुज दोनों साक्षी, जीयत पिंडा पारी जाता।
एतनी बचन राम सुनलैं, सुनही नाहीं पवलैं इ हो...
पिताजी बेलसा अजोधिया क राज, भरत साथे रहिहैं।
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