“Ashtavakara: यहीं तू फँस गया था: ‘मैं कर रहा हूँ’ — अब समझ” ⚠️
Автор: Breathe & Bliss
Загружено: 2025-12-25
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“यहीं तू फँस गया था: ‘मैं कर रहा हूँ’ — अब समझ” ⚠️
क्या सच में
तू ही सब कर रहा था?
या फिर
सब कुछ अपने-आप घट रहा था…
और तू सिर्फ़
उसके बीच खड़ा होकर
अपने ऊपर बोझ चढ़ाता रहा?
अष्टावक्र गीता का यह श्लोक
ज्ञान नहीं देता—
कर्ता होने की गलतफ़हमी को ढीला करता है।
इस भाग में
राजा जनक पहली बार
यह साफ़ देखता है कि—
• कर्म हुआ
• पर “मैंने किया” — यह विचार बाद में आया
• और उसी विचार से अपराधबोध, डर और तनाव पैदा हुआ
यह वीडियो
तुम्हें बेहतर इंसान नहीं बनाता।
यह उस बोझ को गिराता है
जो तुमने बिना वजह
सालों से उठा रखा है।
अगर तू थक चुका है— हर चीज़ की ज़िम्मेदारी लेने से
हर गलती अपने नाम लिखने से
हर दर्द को “मेरा” मानने से
तो यह सुनना ज़रूरी है।
यह समझ नहीं है।
यह अनुभव भी नहीं है।
यह बस एक गलत पहचान का गिरना है।
पूरा सुनना।
यहीं से
मन को पहली बार
कुछ नहीं करना पड़ता।
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