एकदिन छेलै येहो बोन हरिहर, पियासंग जोरलु पिरेते हो !!तारावती चाैधरी!!बिरहैन थारु पौराणिक गीत
Автор: Basghara Nepal
Загружено: 2023-09-23
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गीत: बिरहैन
गीत के बोल: एकदिन छेलै येहो बोन हरिहर, पियासंग जोरलु पिरेते हो ।
स्वर: तारावती चाैधरी, रायपुर, सप्तरी।
थारु भाषा साहित्य केन्द्रके प्रस्तुती ।
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गीतके अर्थ:
बिरह, बेदना, दु:ख, दर्दसे भरल गीत के थारुमे बिरहैन गीत कहैछै । हिन्दी, भोजपुरीमे बिरहा कहैछै । बेदना, दु:ख, दर्द त सबके हैछै चाहे उ मरद हेवे वा माैगी मगर थारु पाैराणिक गीत मे खास क्याके जनिजाइतसबके बिरह बेदनाके बेसी बखान देखैमे वा सुनैमे आबैछै । दोसर बात थारु गीत गोतहनमे छायावला अभिव्यक्ति देखैमे आबैछै त अन्यमे खुलमखुला रहैछै । येह्या थारु पाैराणिक लोक गीतके विशेषता चियै । कहैले सब चीज व्यक्त क्यादेछै मगर कताै कोनो भलगर बातनै व्यमक्त रहैछै ।
एकदिन छेलै येहो बोन हरिहर माने परिवार सम्पन्न रहै । घर बर सब निकै रहै । तहैसे उ लडकी वै परिवारमा आपन बियाह केल्कै मगर दुर्भाग्यबस कुछेक दिनमे वै परिवार मे येहेन बिपैत आबैछृ जे परिवार तहस नहस भ्या जाइ छै । लडेका बिना जानकारी के सम्पर्क विहिन भ्या जाइछै । लडकीके कुछ पता नै चलैछै । लडकी अकेला भ्याजाछै । बिपपतीके पहाड चोकरा तोपने नहााइत लागैछै । जेना बोनके गाछ बििरिछ सबब बिपतीरुपी बिहाइरके। चए्ते सुइखके पतझर। भ्यागेलै मगर तैयो लडकी धैरज बान्हैछै । सोचैछै जे जान बोनमे आइग लागैछै , सब झार पात सुइख जाइछै सेहो बोन पछा पाैन्घैछै । मास घुमघुइम आबैछै फेन भाग्य फिरैछै सोइचके धैरज राखैछै जे एक दिन हमरो दिन फिरतै मगर जब लडकी आपन घरवलाके लाैटैके दिन निरास भ्याजाइछै त मनकके कोसैछै जे एकदिन कि ख्याब या नै ख्याल, सब चिज फालाफाल रहृै मगर येहा बिपैतरुपी निकृष्ट चिज ख्याके जीवन बेकार छाै कहैत बिललाप क्यारहलछै । से भावना देखैमे आबैछै ।
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