बूढ़ी पृथ्वी का दुख | Boodhee Prthvee Ka Dukh | Class 7 Hindi | BSTBPC | From Eguides
Автор: Kids Eguides
Загружено: 2022-01-31
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बूढ़ी पृथ्वी का दुख
क्या तुमने कभी सुना है
सपनों में चमकती कुल्हाड़ियों के भय से
पेड़ों की चीत्कार?
कुल्हाड़ियों के वार सहते
किसी पेड़ की हिलती टहनियों में
दिखाई पड़े हैं तुम्हें
बचाव के लिए पुकारते हजारों-हजार हाथ?
क्या होता है, तुम्हारे भीतर धमस
कटकर गिरता है जब कोई पेड़ धरती पर
सुना है कभी
रात के सन्नाटे में अंधेरे से मुंह ढाँप
किस कदर रोती हैं नदियाँ?
इस घाट अपने और मवेशियों धोते
सोचा है कभी उस घाट
रो रहा होगा कोई प्यासा पानी
या कोई स्त्री चढ़ा रही होगी किसी देवत को अर्घ्य ?
कभी महसूस किया कि किस कदर दहलता है
मौन समाधि लिये बैठा पहाड़ का सीना
विस्फोट से टूटकर जब छिटकता दूर तक कोई पत्थर
सुनाई पड़ी है कभी भरी दुपहरिया में
हथौड़ों की चोट से टूटकर बिखरते पत्थरों की चीख
खून की उल्टियाँ करते
देखा है कभी हवा को, अपने घर के पिछवाड़े?
थोड़ा-सा वक्त चुराकर बतियाया है कभी
कभी शिकायत न करनेवाली गुमसुम बढी पृथ्वी से उसका दुख?
अगर नहीं, तो क्षमा करना!
मुझे तुम्हारे आदमों होने पर सन्देह है!!
निर्मला पुतुल

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