आइल गरमी के दिनवा तपै हो मड़ई
Автор: FOLK DHAROHAR
Загружено: 2019-05-10
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उदयचंद परदेसी की लोकगायकी का संसार बहुत व्यापक है । अवधी और भोजपुरी दोनों बोलियों में परदेसी जी ने खूब - खूब गाया है । यह पारंपरिक गीत भी उन्होंने लोकधुन के मूल स्वभाव को बिना छेड़े प्रस्तुत किया है । इस अवधी लोकगीत में भीषण गर्मी के प्रकोप का वर्णन बहुत ही लयात्मकता के साथ हुआ है । आप भी सुनिए, नि:संदेह मज़ा आएगा ।
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