साक्ष्य अधिनियम धारा 27 पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय : राजेंद्र सिंह और अन्य बनाम उत्तराखंड राज्य
Автор: Advocate VIPUL SHARMA BAGDA
Загружено: 2025-10-08
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यह कानूनी दस्तावेज़ भारत के सर्वोच्च न्यायालय के एक आपराधिक अपील मामले, राजेंद्र सिंह और अन्य बनाम उत्तराखंड राज्य, के निष्कर्षों को प्रस्तुत करता है। यह मामला हत्या के आरोप से संबंधित है, जिसमें अपीलकर्ताओं को पहले ट्रायल कोर्ट ने बरी कर दिया था, लेकिन हाईकोर्ट ने उन्हें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 के तहत दोषी ठहराया था। सर्वोच्च न्यायालय ने अभियोजन पक्ष के चश्मदीद गवाहों की गवाही पर सवाल उठाया, विशेष रूप से मृतक के पिता (पीडब्ल्यू-1) और एक अवसर गवाह (पीडब्ल्यू-2) की विश्वसनीयता पर, क्योंकि उनकी गवाही उस घर की महिला गवाह (पीडब्ल्यू-7) की गवाही से विरोधाभासी थी। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि अपराध के हथियारों की बरामदगी अपने आप में अभियुक्तों की पहचान स्थापित करने के लिए पर्याप्त नहीं है, विशेष रूप से भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 25, 26, और 27 के संबंध में जहां पुलिस को दिए गए केवल खोज से संबंधित बयान ही कानूनी रूप से स्वीकार्य होते हैं। अंततः, न्यायालय ने संदेह का लाभ देते हुए हाईकोर्ट के दोषसिद्धि के फैसले को पलट दिया और अपीलकर्ताओं को बरी कर दिया।
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