Pujya Maharaj Ji Aur Hum | Peeli Markin Mein Likhi Ek Prem Gatha
Автор: Vrindavan marg (reimagined)
Загружено: 2025-04-02
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shree harivansh
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पिता सारे प्रयत्न करके हार चुके, आचरण सुधरने के बजाय एक और female दोस्त से बातें शुरू हो गई। कंधे पर बिठा के दादा समान एक संत भगवान भोगों से कोषों दूर, यमुना जी की पुलिन पर स्थित कुंज राधा केली कुंज के द्वार पर खड़ा कर देत हैं, जहां वृंदावन की ओर से आती मंद हवा रज रानी, यमुना रसरानी के स्पर्श से विषयों के ज्वाला को ऐसे शांत कर देती है, जैसे चंदन का लेप गोपियों के कृष्ण विरह के ज्वाला को ठंडा करता है। काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर वश करना उतना ही आसान है जितना श्रीदामा, मधुमंगल, तनसुख, मनसुखा, धनसुखा को वश में करना है, लेकिन लाडली जू की सखियों के समक्ष टिक्बे की क्षमता काहू में नाय। अन्नत कोटि ब्रह्मांड नायक, लाडली जू के चरण में महावर रचना की याचना करते भए जिन सखियों के चरण में नाक रगड़ते हैं कहानी उन्हीं में से एक सखी की है आज।
चतुराशी जी, बयालीस लीला जी, श्री हित सेवक वाणी जी, अपने वाक प्रवीणता से प्रिया-प्रीतम के हृदय को चंदन की तरह शीतलता प्रदान करते भए, नित्य हित हरिवंश महाप्रभु की समीपता, लाडली लाल, आचार्य चरण नित्य जिन प्रियवादिनी सखी को हृदय से अंगीकृत किए हों, बाट जोहना शेष रह जाता है कुंज में प्रवेश पाने का, जब ऐसी सर्वसमर्थ प्रिया जू की सखी बांह थाम ले।
Gen z शब्द ऐसा लगता है मानो भोग विलासिता के प्याले से डुबो के निकला गया हो, होगी किसी जमाने की बात जब यौवन अवस्था के दौर से गुजरने पर स्त्री शरीर से आकर्षण होता होगा, होगा कोई जमाना जब gen z शराब का नशा किया करते थे, फिलहाल तो अर्ध निलंबित नेत्र के कटाक्ष से घायल दिल सम्भल ही रहा था के मुस्कान की चोट जख्म पे नमक गिरा के चल गया। होता होगा किसी जमाने में समय व्यर्थ, वीडियो गेम में, कब श्री राधासुधनिधि जी, कब सत्संग, एकांतिक, दिन हाथ मे बंधी रेत की तरह खिसक जाती है।
प्यार इकतरफा थोड़ी है, लाडली जू नौका से उतर रही हैं, बड़े महाराज जी पूज्य महाराज जी संग हाथ से सीधी बनाए खड़े हैं, लाडली जू व्यंग्य कर रही हैं, प्रियवादिनी भार तो सह लोगी, महाराज जी इस असमंजस में पड़ जाते हैं कि प्रिया जू के व्यंग्य का उत्तर करूं या एकांतिक में आए प्रश्न का "शरणागत का भार कौन उठाते हैं " का उत्तर करूं एक पंक्ति "लाल जू कहता हूं, वही भार सहते हैं", लाडली जू की शर्मीली मुस्कान और प्रश्नकर्ता के हृदय के ठंडक से दोनों ओर की बाते बनते हैं, जितनी उम्र शेष है कुंज सरोवर में डूबो लें, विषय आशक्त जीवों को इस भाव से अपने एकांत चिंतन के स्थान पर अतरे दिन dialasis के बावजूद लाडली जू के चरण में महावर रचना का स्वभाग्य प्रदान करने महाराज, अपनी सारी पीड़ा छिपा के, एक अर्ध बंद नेत्र मुस्कान के संग, हमें निकुंज के डिब्बे में बिठा रहे हैं बिना साधन रूपी टिकट जांचे। बात है तो महाराज जी के आस-पास भटकने की, यदि गलती से भी मुख से राधा नाम उच्चारण ही जाए 1st ac की ticket confirmedı
TT साहब की बड़ी दूर तक पहचान है बात है, नजर में आ पाने की, चाहे राधा नाम लेके आओ या चतुराशि जी के पद से सीट पाओ।
।। श्री हरिवंश।।
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jacob's piano
pujya premanand ji maharaj/pujya premanand ji maharaj ke pravachan/pujya premanand maharaj/pujya premanand maharaj ji ka satsang/pujya premanand ji maharaj ka aaj ka pravachan/pujya premanand ji maharaj live/pujya premanand ji maharaj ki katha/pujya premanand ji maharaj ekantik vartalap/pujya maharaj ji/premanand ji maharaj virat kohli/premanand ji maharaj jojo and johny
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