असुर, राक्षस और यक्ष में क्या अंतर है | Three Types Of Demons You Meet In Life
Автор: Bajarbattu Divine
Загружено: 2025-10-02
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एक पल के लिए सब काम साइड में रख दीजिये और सोचिये की एक तरफ़ हैं महाभारत और पुराणों की कहानियों में बार-बार सुनाई देने वाले असुर जिनके नाम सुनते ही युद्ध, शक्ति और विनाश की छवियाँ आँखों के सामने आ जाती हैं. दूसरी तरफ़ उन्हीं ग्रंथों में मिलते हैं राक्षस जो कभी रावण की तरह विद्वान भी हैं और कभी ताड़का की तरह भयावह भी. और तीसरी तरफ़ हैं यक्ष रहस्यमयी, खज़ानों के रक्षक, प्रकृति और सौंदर्य के उपासक.
अब इसी बात से कई सवाल निकलते हैं:
👉 क्या असुर और राक्षस एक ही हैं या दोनों में गहरा फर्क है?
👉 आखिर क्यों असुरों को हमेशा देवताओं के विरोधी के रूप में दिखाया गया?
👉 राक्षसों को कभी क्रूर मांसभक्षी और कभी वीर योद्धा क्यों कहा गया?
👉 यक्ष, जिन्हें अमूमन शांत और प्रकृति-प्रेमी माना जाता है, वे देवताओं के साथ हैं या असुरों के?
सवाल यहीं ख़त्म नहीं होते.
अब ज़रा सोचिए –
👉 अगर असुर हमेशा बुराई के प्रतीक थे, तो प्रह्लाद जैसा भक्त विष्णु का परम उपासक असुर कुल में ही क्यों पैदा हुआ?
👉 अगर राक्षस सिर्फ़ हिंसा और क्रूरता का रूप थे, तो विभीषण जैसा धर्मपरायण और राम का भक्त राक्षस कैसे हुआ?
👉 और अगर यक्ष बस खज़ाने के रक्षक थे, तो महाभारत में यक्ष–युद्धिष्ठिर संवाद इतना गूढ़ और ज्ञान से भरा क्यों माना जाता है?
इन सब सवालों से भी बड़ा सवाल है –
👉 क्या असुर, राक्षस और यक्ष सिर्फ़ पौराणिक पात्र थे, या ये हमारे समाज की अलग-अलग जातीय–सांस्कृतिक परतों का प्रतीक थे?
👉 क्या देव–असुर युद्ध वास्तव में अच्छाई और बुराई की लड़ाई थी, या फिर दो सभ्यताओं के टकराव की कहानी?
👉 क्या राक्षसों को “मांसभक्षी” बताना सिर्फ़ प्रतीकात्मक भाषा थी, या उनके जीवन–पद्धति का सच?
👉 और क्या यक्ष वास्तव में प्रकृति-पूजक जनजातियाँ थीं, जिन्हें बाद में “रहस्यमयी रक्षक” की छवि दी गई?
आज के इस एपिसोड में हम इन्ही सवालों के जवाब ढूढेंगे.
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